नमस्कार दोस्तों ,आज हम जानेंगे जन वितरण प्रणाली (कोटा ) क्या है ? जन वितरण प्रणाली का भाव ,यह कैसे काम करती है ? , जन वितरण प्रणाली दुकान कैसे चलती है ? जन वितरण प्रणाली का लाभ कौन उठा सकते है ? जन वितरण प्रणाली का दुकान कैसे खोले ? जन वितरण प्रणाली की सच्चाई क्या है और कुछ महत्वपूर्ण बातें जो आपको जाननी चाहिए।
jan vitran pranali ki jankari |
जन वितरण प्रणाली (कोटा ) क्या है
भारत के गांव और शहरों में कम कीमत में राशन देना यह जन वितरण प्रणाली का काम है। इसमें आपको चावल ,गेहूँ ,चीनी ,नमक ,केरोसिन तेल आदि जैसी वस्तुएं कम कीमत में मिलती है।
जन वितरण प्रणाली सरकार के द्वारा चलाई गयी योजना है जो की वर्षों से भारत के लोगों को सेवा प्रदान कर रही है।
इसमें हरेक गांव /वार्ड में राशन का दुकान खोला जाता है -जिसका नाम कोटा रखा जाता है और दूकानदार को डीलर के नाम से जाना जाता है।
हरेक डीलर का अपना एक लाइसेंस नंबर होता है ,जिससे की वह राशन उठा और बैंच पाता है।
हरेक राज्य अपने अनुसार वस्तुओं की लेन -देन करती है। जैसे -कई राज्य गेहूं वितरण करती है तो कई राज्य नहीं। कई राज्य चीनी वितरण करती है तो कई नहीं।
जन वितरण प्रणाली का भाव
जैसा की मैंने पहले ही बता दिया है कि इसकी सामान की भाव बोहोत ही कम है। जिसकी जानकारी नीचे दी गयी है।
चावल - Rs 1 /kg
गेहूँ - Rs 1 /kg
नमक- Rs 1 /kg
चीनी - Rs 24 /kg
केरोसिन तेल - Rs 29.35/lt
आदि।
जन वितरण प्रणाली का लाभ कौन उठा सकते है
ऐसा व्यक्ति जो भारत का नागरिक हो और सरकारी कर्मचारी ना हो। तो वह जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत सामान खरीद सकता है।
जिसके लिए आपको लाल कार्ड ,पीला कार्ड बनवाना पड़ता है।
जन वितरण प्रणाली का दुकान कैसे खोले
यदि आप बेरोजगार है और जन वितरण प्रणाली का दुकान खोलना चाहते है तो आप खोल सकते है।
इसके लिए कुछ नियम है -यह दुकान जिसे कोटा कहते है वही व्यक्ति खोल सकता है जो भारत का नागरिक हो।
पहले यह कोटा के लिए कोई भी व्यक्ति आवेदन कर सकता था , लेकिन अब ऐसा नहीं है।
अब यह कोटा सिर्फ समूह को दिया जाता है। और सिर्फ कोटा ही नहीं जितने भी सरकारी कार्य आ रहे है सब समूह को ही दिया जा रहा है।
यदि आप अपने गांव /वार्ड में किसी भी तरह के समूह का हिस्सा हैं तो आप इसके लिए आवेदन कर सकते है।
जन वितरण प्रणाली की सच्चाई
यह बोहोत ही दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि जन वितरण प्रणाली में बोहोत ज्यादा corruption है। आज इस post के द्वारा मैं उन सभी corruption करने वालों के बारे में बताने वाला हूँ जो की जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत आते हैं।
1 . चावल की कटौती - एक चावल का बोरी 50 kg के अनुसार दुकानदार (dealer ) को दिया जाता है , लेकिन वह चावल की बोरी में सिर्फ 47-48 kg ही चावल रहती है। बाकि के चावल सरकारी कर्मचारी और सरकार मिलकर खा जाती है।
और इतने में भी जब इनका पेट नहीं भरता है तब video officer के नाम पर 25 -30 kg चावल काट लेते हैं।
और अंत में दुकानदार (dealer ) के पास 70 किंटल चावल की जगह 66 से 67 क्वींटल चावल ही मिलता है।
और जब दुकानदार (dealer ) वही चावल की पूर्ति करने के लिए ग्राहक से 1-2 kg चावल की कटौती करता है तब उसे तरह -तरह के गालियां सुनना पड़ता है।
और यह भ्रष्टाचार सिर्फ चावल में नहीं बल्कि सभी सामानो में होती है।
और अंत में आम लोगों को 5 kg चावल की जगह 4.5 kg चावल ही मिल पाता है और नाम ख़राब होता है दुकानदार (dealer ) का।
इसमें आम लोग और dealer कुछ कर नहीं कर सकते क्यूंकि इसमें -सरकार ↦DSO↦MO↦VIDEO↦भंडार मालिक से लेकर सभी लोग मिले होते है और सब इसी तरह की कमाई खाते है।
2. License के लिए घुस लेते है -
जन वितरण प्रणाली (कोटा ) एक ऐसा दुकान है जो की पुरखों तक चलती है। बाप के बाद पत्नी ,बेटा आदि।
यदि किसी दुकानदार (dealer ) की मृत्यु हो जाती है और उसकी पत्नी अपने नाम पर license लेना चाहती है तब उससे घुस लिए जाते है।
ये लोग ऐसे हैं कि आपके आवेदन को बिना घुस के महीनो तक जमा भी नहीं करेंगे तो प्रक्रिया करने की दूर की बात है।
इसके लिए लाखों रुपये घुस लेते हैं और कोई officer bychance ईंमानदार निकला तो उसको जबरजस्ती बेईमान बनाया जाता है।
और ऐसा सिर्फ जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत नहीं होता बल्कि सभी सरकारी काम के लिए होता है।
जन वितरण के अंतर्गत महत्वपूर्ण जानकारी
- कभी भी आप जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत सामान खरीद रहे हैं तो उसका रसीद जरूर ना ले,क्यूंकि उसमे तेल का और भी वस्तुओं का सिर्फ सरकारी दाम होता है लेकिन उस माल को लेन -देन करने में जो खर्च लगता है वह नहीं जुड़ा हुआ रहता है। जैसे -केरोसिन तेल में ,,तेल को भंडार से लाने में जो खर्च होता है वह रसीद में नहीं जुड़ा हुआ रहता है ।
- जितना हो सके प्रत्येक महीना राशन उठाये। क्योंकि 2 महीने राशन नहीं उठाने पर सारा राशन सरकार का हो जायेगा।
- अपना राशन कार्ड संख्या दूसरे डीलर को ना दिखाए। वह आपके राशन कार्ड से छेड़ खानी कर सकता है।
- mobile no registration और aadhar seeding के लिए कोई भी पैसा डीलर को नहीं दे। क्योंकि यह डीलर के मशीन द्वारा मुफ्त में होता है। और यह डीलर की जिम्मेदारी होती है।
जन वितरण प्रणाली दुकान कैसे चलती है
- सबसे पहले दुकानदार को महीने में आवंटन (allotment ) आता है कि आपको इस महीने इतना सामान भंडार से उठाना है।
- दुकानदार उन सामानों का draft बनाता है और उसे भंडारे से खरीद लाता है।
- और फिर वह उस सामान को लोगों में वितरण कर देता है।
- यह वितरण, मशीन के द्वारा होती है ,लोगों को राशन खरीदने के लिए अपना अंगूठा मशीन में लगाना पड़ता है उसके बाद ही वह राशन ले पाता है।
- दुकानदार अपने register में कार्ड नंबर और राशन की मात्रा लिखता है जिसके बाद आप राशन वितरण कर सकते है।
Note - जन वितरण प्रणाली को देश के विकाश के लिए बेहतर बनाया जा सकता है लेकिन इसके लिए जरूरत है एक और नए मशीन की।
जिस प्रकार दुकानदार (dealer ) को मशीन दीया गया है उस प्रकार भंडार के दुकानदारों को भी मशीन दिया जाये ,जिससे dealer को पूरा -पूरा सामान मिल सके और वह जनता को पूरा सामान वितरण कर सके।
तभी यह system बदलेगा ,नहीं तो सरकारी दलाल इसे चूसते रहेंगे और गरीबों की धन संपत्ति दीमक की तरह चाटते रहेंगे।
आप बदलेंगे ,देश बदलेगा।
देश बदलेगा ,तो संसार बदलेगा।
यह बातें कहने के लिए नहीं है ,कुछ करने के लिए है।
तो दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें comment करके निचे जरूर बताये और इस पोस्ट को जितना ज्यादा हो सके उतना share करें। ताकि सभी जागरूक हो पाए और अपने हक़ को जान पाए।
धन्यवाद।
धन्यवाद।
Bhai mera nam deeler mi aaya hi kya kara join kara ya alp railway join kara
जवाब देंहटाएंBhai mera nam deeler mi aaya hi kya kara join kara ya alp railway join kara
जवाब देंहटाएंAlp join kro... Agar alp me ho jata hai to...
जवाब देंहटाएंCota ka dukandar bnne ki puri process btaye
जवाब देंहटाएंDollar ka linces kayse milega
जवाब देंहटाएंDealer ka license lene ke liye MO se mile.
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