नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे कि मन क्यों सोचता है? मन के अंदर क्या है जो मन सोचता है और मन हमेशा सोचते ही क्यों रहता है ?
आपको यह topic कुछ अजीब सा लग रहा होगा , लेकिन मेरा विश्वास मानिये कि इसे पढ़ने के बाद आपके विचार बदल जायेंगे और आप बोहोत आनंदित महसूस करेंगे।
यदि आपको जानना है कि मन कैसे सोचता है ? तो उससे पहले आपको आत्मा के बारे में समझना होगा।
आत्मा में 3 शक्तियाँ होती हैं - मन , बुद्धि और संस्कार।
तो आज हम यहाँ मन के ऊपर बात करेंगे और जानेंगे कि मन कैसे सोचता है ?
मन क्यों सोचता है |
इसका जवाब है कि पैर का ऐसा आकार है। ऊपर से नीचे (vertical) सीधा और फिर सपाट (horizontal ), जो की हमें चलने में मदद करती है।
दूसरा उदाहरण मैं देता हूँ आँख - आँख से हम कैसे देख पाते हैं ?
तो इसका जवाब है कि हमारे आँखों में lens लगे हुवे होते हैं , जिनकी मदद से हम देख पाते हैं।
और जितनी भी इन्द्रियाँ है - हाथ हो ,नाक हो , कान हो। इन सभी इन्द्रियों में (sense organs ) में कुछ ना कुछ ऐसा चीज है जिनसे की यह अपना कार्य कर पाती है।
वैसे ही मन में क्या है जो मन सोचता है ?
मन शरीर की 11 वीं इन्द्रियां कही जाती है। और सोचना भी एक कार्य है। किसी व्यक्ति विशेष के बारे में सोचना , पढ़ाई में प्रश्नों के बारे में सोचना। इत्यादि।
तो हम यह नहीं कह सकते हैं कि सोचना कोई कर्म नहीं है। इसलिए मन में कुछ नहीं है। यदि कोई कहता है कि सोचना कोई कर्म नहीं है, यह तो normal है , अपने -आप होता है।
तो इसका भी जवाब है - ठीक है यह अपने आप होता है। मन अपने आप सोचता है। लेकिन हम इसे change भी तो करते हैं। हम अपने सोंच को बदलते भी तो हैं।
जब भी हमारे पिताजी को घर आने में late हो जाती है , तब हमारे सोच कैसे हो जाते हैं ?
कहीं पिताजी को कुछ हो तो नहीं गया ?, जरूर पिताजी party कर रहे होंगे , नहीं -नहीं traffic में फँस गए होंगे।
तो हम यहाँ पर अपने सोंच को change कर रहे हैं। क्या कहके - कि वह traffic में फँस गए होंगे।
और सोचना कर्म नहीं है तो फिर ऐसा क्यों कहते हैं - मन जीते जगतजीत।
जिसने मन को जीत लिया तो वह जगत को भी जीत सकता है। यानि जो अपने सोच के ऊपर , संकल्पों के ऊपर जीत पा सकता है तो वह संसार के ऊपर भी जीत पा सकता है।
और यदि अपने सोंच से जीत पाना है तो उससे लड़ना भी तो होगा ना। और यदि हम जानेंगे नहीं कि सोंच क्या है ? मन क्यों सोचता है ? तो हम अपने सोच से लड़ेंगे कैसे।
तो यही बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ , कि आखिर मन में क्या है ? जिससे की वह सोच पाता है।
इसका जवाब है - मन में याद है। जिसकी वजह से वह सोच पाता है।
एक उदाहरण से आप इसे समझिये :- कई cases में देखा गया है कि , जब किसी के साथ कोई हादसा हो जाता है - सड़क दुर्घटना , छत से नीचे गिरना। तो उनकी याददास्त चली जाती है।
यानि बचपन से accident होने के समय तक जितनी भी उनकी यादें थी वह ख़त्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति अपने बीते हुए कल के बारे में नहीं सोच पाता। ऐसा नहीं है कि उनकी बुद्धि साथ नहीं देती , बुद्धि अच्छी होती है , लेकिन वह सोच नहीं पाता।
क्यूंकि वह यादें मन के पास नहीं है तो वह कैसे सोचेगा। ऐसे ही हम अपने पिछले जन्मों के बारे में नहीं सोच पाते। क्यों ?
हम अपने पिछले जन्मों के बारे में क्यों नहीं सोच पाते ?
क्यूंकि मृत्यु भी एक बड़ी accident है। जिस तरह इन छोटे accident से याददास्त चली जाती है , उसी तरह मृत्यु भी एक बड़ी accident है , जिससे की हम अपने पिछले जन्मों के बारे में भूल जाते है।
तो निष्कर्ष क्या निकला :- कि हम जैसी यादें देंगे मन को , मन वैसा ही सोचेगा।
हम कोई अच्छी यादें देंगे जैसे सफलता का।
जैसे :- किसी अवार्ड show में जाना, कोई match देखने जाना , किसी के success पार्टी में जाना। तो आप मन को सफलता की यादें दे रहे हैं। तो मन उसी के बारे में सोचने वाला है।
और यदि किसी व्यक्ति की road accident में मौत हो गयी है , और आप उसे देखने जाते हैं , तो आपका मन वैसे ही चीजें सोचने वाला है।
और इससे बचने के लिए क्या करे - आप वहां जाये ही नहीं। तो मन सिर्फ कल्पना ही कर सकता है। कि ऐसे उसके 2 टुकड़े हुवे होंगे , ऐसे वह मारा होगा। बस ! वह ज्यादा उसके बारे में नहीं सोच पायेगा। क्यूंकि उसके पास वह यादें है ही नहीं तो वह सोचेगा कैसे।
तो अब मुझे लगता है कि आपको जवाब मिल गया होगा कि मन क्यों सोचता है ? मन में क्या है जिससे की वह सोच पाता है।
जैसे हमारे पैर का निचला भाग सपाट है तो हम चल पाते हैं। आँखों में lens है , कानों में ear drums है तो देख और सुन पाते हैं।
वैसे ही मन में क्या है जिससे की वह सोच पाता है - तो जवाब है मन में यादें है जिससे की वह सोच पाता है।
अब आपको अच्छे सोच चाहिए , या बुरे सोच यह आपके हाथों में है।
क्यूंकि - जैसा सोचोगे तुम , वैसा बन जाओगे।
तो दोस्तों यह थी जानकारी मन के बारे में । मुझे उम्मीद है की आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
और इस post को अपने दोस्तों , रिस्तेदारों तक जरूर पहुंचाए , जिससे उन्हें भी सच्चाई का पता चले।
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