मैं कौन हूँ? Who am I in Hindi
शरीर अलग चीज़ है , आत्मा अलग चीज़ है और दोनों मिलकर जीवात्मा अर्थात जीवित आत्मा बनती है। जीवित आत्मा का मतलब है शरीर सहित काम करने वाली चैतन्य शक्ति। नहीं तो यह आत्मा भी काम नहीं कर सकती और यह शरीर भी काम नहीं कर सकता।
who am i |
इसका मिसाल एक motor और driver से दिया गया है। जैसे motor होती है , driver उसके अंदर है तो motor चलेगी , driver नहीं है तो motor नहीं चलेगी। मतलब यह है कि आत्मा , (एक भाई ने कहा - वायु है ), वायु नहीं है। पृथ्वी ,जल ,वायु ,अग्नि और आकाश - ये 5 जड़ तत्व तो अलग हैं जिनसे यह शरीर बना है।
इन 5 तत्वों से बने शरीर से आत्मा निकल जाती है तो भी शरीर के अंदर 5 तत्व रहते है। उनको जलाया जाता है या मिट्टी में दबाया जाता है। वे तो जड़ तत्व हैं लेकिन आत्मा उनसे अलग क्या चीज है ? वह मन और बुद्धि स्वरुप अति सूक्ष्म ज्योतिर्बिंदु है , जिसको गीता में कहा गया है - (अनोर्नियांसमनुस्मरेत यः। ) गीता 8 /9 श्लोक।
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अर्थात अनु से भी अनुरूप बताया। अनु है लेकिन ज्योतिर्मय है। मन -बुद्धि को ही आत्मा कहा जाता है। वेद की एक ऋचा में भी बात आई है- 'मनरेव आत्मा ' अर्थात मन को ही आत्मा कहा जाता है। आदमी जब शरीर छोड़ता है अर्थात आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो ऐसे थोड़े ही कहा जाता है कि मन -बुद्धि रह गई और आत्मा चली गई। सब कुछ है, लेकिन मन -बुद्धि की शक्ति चली गई अर्थात आत्मा चली गई।
तो मन -बुद्धि की जो power है वास्तव में उसका ही दूसरा नाम आत्मा है। मन -बुद्धि में इस जन्म के और पूर्व जन्मो के संस्कार भरे हुए हैं। संस्कार का मतलब है - अच्छे बुरे जो कर्म किये जाते हैं , उन कर्मों का जो प्रभाव बैठ जाता है उसको कहते हैं 'संस्कार'।
जैसे किसी परिवार में कोई बच्चा पैदा हुवा ,वह कसाइयों का परिवार है , बचपन से ही वहां गाय काटी जाती है ,जब बच्चा बड़ा हो जाये ,उससे पूछा जाय कि तम गाय काटते हो , बड़ा पाप होता है , तो उसकी बुद्धि में नहीं बैठेगा ; क्योंकि उसके संस्कार ऐसे पक्के हो चुके हैं।
इसी तरीके से ये संस्कार एक तीसरी चीज़ है। तो मन -बुद्धि और संस्कार - ये 3 शक्तियां मिक करके आत्मा कही जाती है।
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मैं आत्मा कौन हूँ ?
यहाँ तक तो हम जान गए कि हम सभी आत्मा है। जैसे हरेक मनुष्यों के अलग शरीर होते है,जानवरों के अलग शरीर होते है। एक का चेहरा दूसरे से नहीं मिलता। वैसे ही दुनिया में 700 -800 करोड़ मनुष्य आत्मा है उसमे से हम आत्मा कौन है यह कैसे पहचाने।
कहने का अर्थ है कि इस दुनिया में हमारा क्या part है। हम आत्मा कितने जन्म लेते है ? उन जन्मो में हम क्या -क्या बनते है ? यदि हम ये जान जायेंगे तभी कह पाएंगे कि मैं कौन हूँ यह मुझे पता है।
यदि किसी को अपने जन्मो के बारे में पता है तो उसे कहेंगे कि वह अपने आत्मा के बारे में जनता है। नहीं तो 2500 वर्षों से लोग कह रहे है कि हम आत्मा है लेकिन किसी को भी अपने जन्मो के बारे में नहीं पता।
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आत्मा के जन्मो के बारे में कौन बताएगा।
आत्मा अनेक जन्म लेने के कारन पिछले जन्मो को भूलते जाती है। लेकिन जो जन्म -मरण से न्यारा है , और सभी आत्माओं का बाप है वही हरेक आत्मा के जन्मो के बारे में बता सकता है।
लेकिन वह orally बोलकर हरेक के जन्मो के बारे में नहीं बताता , तरीका बता देता है - जैसे Maths में formula होता है , जिससे सभी questions solve हो जाते है , वैसे ही परमात्मा बाप इस सृष्टि में आकर formula बताते है कि तुम अपने को सदैव आत्मा समझो तो तुम अपने सभी जन्मो के बारे में जान जाओगे। जिसे आत्मिक स्थिति कहते है। इसके बारे में हम विस्तार से बाद में बात करेंगे। आज के लिए इतना ही।
तो भाइयों ये थी जानकारी आपके बारे में , हमारे बारे में कि मैं कौन हूँ ? उम्मीद करता हूँ कि आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
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धन्यवाद। Om Shanti .
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