भगवान सर्वव्यापी है या एकव्यापी ?


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे भगवान के सर्वव्यापक होने या एकव्यापक होने के बारे में। और यह भी जिनेंगे कि भगवतगीता में इसके विषय में क्या कहा गया है। भगवान सर्वव्यापी है या एकव्यापी है।

bhagwan sabhi jagah hai ya nahi
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सर्वव्यापी का अर्थ 

सर्वव्यापी का अर्थ होता है , जो हर जगह है , पत्थर -ठीठर हर जगह। भगवान को सर्वव्यापी कहने का अर्थ है ,भगवान भी सभी जगह है , पत्थर -ठीठर में भगवान है। यह बात बोहोत अच्छी रीती ध्यानपूर्वक सोचना चाहिए कि यदि हर जगह भगवान है :-
तो हर जगह सुख -शांति होनी चाहिए , क्योंकि भगवान को दुःख हर्ता सुखकर्ता कहा जाता है

भगवान सर्वव्यापी है या एकव्यापी ?

जैसे लोग कहते है -भगवान सर्वव्यापी है , कण -कण में भगवान है , तो ये बात सुनने में तो अच्छा लगता है लेकिन हज़म नहीं होती है। लोग पत्थरों को , पेड़ों को भगवान मानकर पूजते हैं , उपवास करते है, और ना जाने क्या -क्या करते हैं। लेकिन जब उनसे पूछा जाये , तब वह कुछ नहीं बोल पाते।

जैसे - उपवास , उप =निकट, वास =रहना यानी भगवान के नजदीक रहना , तो वह खाना नहीं खाने को उपवास समझ लेते है।

तो उसी तरह भगवान सभी जगह नहीं है , अगर होती तो पूजा - पाठ करने की दरकार नहीं होती। सभी जगह तो भगवान है तो फिर अलग से मंत्र पढ़कर क्रियाक्रम क्यों किया जाता है ?

पहले इस्लामी भी मानते थे :- कि खुदा अर्श (ऊपर ) में रहता है फर्स (नीचे )नहीं रहता है।
लेकिन अब वे भी कहते हैं कि जर्रे -जर्रे में खुदा है। अरे - खुदा का तो अर्थ ही यही होता है " कि जो खुद आये तो उसे खुदा कहते हैं " और उसी को सर्वव्यापी कह दिया।

जब खुदा है ही सब जगह -तब 5 बार पुकारने की क्या जरूरत है , जो सामने होता है उसे पुकारने की जरूरत  होती है क्या ? उसे तो धीरे से आवाज़ लगाओ तो वह हाज़िर हो जाता है।

ईसाई भले कहते हैं , God is one , God is light , Godfather लेकिन वह भी मानते है कि (God is everywhere ) भगवान सभी जगह है।
अरे ! जिसे father कहते हैं - वह सब जगह कैसे हो सकता है। क्या आपके इतने सारे father है ?
ये क्या बात फैला दी दुनिया में , भगवान को पत्थर -ठिठर में ढकेल दिया है , जैसे भगवान को गाली देते है।
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भगवान को सर्वव्यापी किसने बनाया ?

जब से संन्यासी आए तब से यह ज्ञान चारों तरफ फैला कि भगवान सर्वव्यापी है , पहले सब धर्म के लोग भगवान को एकव्यापी ही मानते थे ,संन्यासियों ने भगवान को चारों तरफ खोजा , जब कहीं नहीं मिला तब उन्होंने कह दिया भगवान सर्वव्यापी है। शिवोअहं। मैं ही - हम ही शिव है , हम ही भगवान का रूप हैं आओ मेरी पूजा करो।
और लोग आज भी उनकी पूजा कर रहे हैं , उन्हें भगवान मानते हैं।

ये सब करनी संन्यासियों के धर्मपिता शंकराचार्य की है - जिन्होंने सारे शास्त्रों का खंडन करने के बाद गलत अर्थ निकाला। उन्होंने "एको ब्रह्म दुतियो ना अस्ति " का गलत अर्थ समझा , उन्होंने इसका अर्थ अपने ऊपर ले लिया और कह दिया इस दुनिया में हम ही ब्रह्म हैं ,हम भी ब्रह्म ,तुम भी ब्रह्म , "आत्मा सो परमात्मा " का उल्टा ज्ञान सारे विश्व में फैला दिया। और सभी धर्मो का खंडन कर दिया।

दरहसल इसका अर्थ होता है :- दुनिया में एक ही (भगवान ,GOD ,अल्लाह) है और कोई दूसरा नहीं है। इसीलिए God is one , अल्लाह ताला ,त्वमेव माता च पिता कहा जाता है।

आत्मा सो परमात्मा :- यह बात झूठी है , हरेक आत्मा में परमात्मा नहीं है , यदि यह सत्य है ,तो आज लोग इतने मार -काट कर रहे हैं ये क्यों कर रहे हैं। परमात्मा भी मार -काट करता है क्या ? इज़्ज़त लुटता है ? चोरी -डकैती करता है क्या ?
यदि आत्मा सो परमात्मा यह बात सत्य है , तो कुत्ते -बिल्ले सभी को बाप कहना चाहिए। Godfather कहते है ना भगवान को , तो कुत्ते -बिल्ले को Godfather क्यों नहीं कहते -उन्हें भी बाप कहिये ना।


भगवान एकव्यापी है -भगवतगीता 

वास्तव में (भगवान ,GOD ,अल्लाह) एक है , और हम सभी आत्माओं का बाप है। और वह एकव्यापी है। सर्वव्यापी नहीं है।
                            इसीलिए गीता में कहा हुवा है :-

ना तद भास्यते सूर्यो ना ससांको ना पावकः। 
 यद् तद गत्वा ना निवर्तन्ते ताड़ धाम परम मम।। (15 /6 )

इसका मतलब है -जहां पर सूर्य ,चंद्र ,अग्नि का प्रकाश नहीं पहुँच सकता , जहां पर आत्माये शरीर के साथ नहीं जा सकती ,वह मेरा परमधाम है।

यहां पर तो भगवान ने अपने रहने का स्थान परमधाम बता दिया है ,तो वह सर्वव्यापी कैसे हो सकता है। इसीलिए हरेक धर्मपिता अपनी उंगली ऊपर किये हुवे दिखाते हैं , कि भगवान अपने घर परमधाम में है। भले उनकी नज़र अपने हरेक बच्चे में है और हरेक बच्चा उनको याद करता है। लेकिन वह सर्वव्यापी नहीं है। वह ब्रह्मा ,विष्णु शंकर में प्रवेश करके अपना कार्य करते है तो त्रिमूर्ति शिव कहे जाते है। और इसीतरह वह एकव्यापी है - सर्वव्यापी नहीं है। आप खुद सोचिये।

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