नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे ॐ शांति के बारे में। कि ॐ शांति क्या है ? ॐ शांति का मतलब क्या होता है ? इसकी सुरुवात कब और कैसे हुई ? ॐ शांति का इतिहास क्या है ? और वर्तमान समय में इसकी स्थिति क्या है ?
तो यदि आप भी ॐ शांति के बारे में जानना चाहते है तो ये जानकारी सिर्फ आपके लिए है। आप इसे अंत तक जरूर पढ़े।
om shanti kya hai |
ॐ शांति का मतलब होता है कि "मैं आत्मा ज्योतिबिंदु शांत स्वरुप हूँ "
जब भी हम एक दूसरे से मिलते है तो "ॐ शांति " कहते हैं। इससे हम एक दूसरे के प्रति आत्मिक भाव को दरसाते है कि हम सभी आत्माएं है। और आपस में भाई -भाई हैं। भले ही शरीर से हम स्त्री हो ,दूसरे जाती ,धर्म के हो लेकिन आत्मिक भाव से हम सभी भाई -भाई हैं।
लोग यूँ ही कह देते हैं - हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख ,ईसाई आपस में हम भाई -भाई। लेकिन कोई पूछे कि कैसे हम भाई -भाई हैं ? तो फिर जवाब नहीं दे पाते।
तो इसका जवाब है कि आत्मिक दृस्टि से हम सभी भाई -भाई है और यही ॐ शांति का मतलब है।
ॐ शांति क्या है ? ॐ शांति की जानकारी।
ॐ शांति सिर्फ एक सत्संग नहीं है। यह गलतफैमी नए -नए लोगों में होती है। ओर सत्संगों की तरह वह इसे भी समझते हैं। लेकिन यह सिर्फ सत्संग नहीं है अपितु यह "यज्ञ " है।
और इस यज्ञ का नाम है :- राजसूय अश्वमेघ अविनाशी रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ।
यह यज्ञ अधिक से अधिक 100 वर्षों का है जिसकी सुरुवात स्वयं परमपिता शिव करते हैं और जिसमे सारी दुनिया की आहुति दी जाती है।
ॐ शांति की सुरुवात कैसे हुई ?
(अधिक लम्बा ना हो जाये इसीलिए यह जानकारी संक्षिप्त में है। )
इसकी सुरुवात 1936 में हुई। कलकत्ते में परमपिता शिव ने ब्रह्मा (दादा लेखराज ) में प्रवेश करके इस यज्ञ की सुरुवात की।
पहले दादा लेखराज को तरह -तरह के साक्षात्कार होते थे , वे उन साक्षात्कारों को नहीं समझ पाते थे , तो उन्होंने अपने 12 गुरुओं से पूछा , उनको समाधान नहीं मिला। फिर वे कलकत्ता गए अपने भागीदार के पास -वहाँ से उनको समाधान मिला।
और यह पता चला कि - इस दुनिया का अंत अब निकट है , नई दुनिया सतयुग की स्थापना होने वाली है जिसकी स्थापना की जिम्मेवारी मुझे (दादा लेखराज ) को मिली है।
वे ही सतयुग के प्रथम कृष्ण बनेंगे। atom बॉम्ब की विभीषिका से सारी दुनिया विनाश को पायेगी। सभी आत्माएं धर्मराज की सजा खाकर -पतित से पावन बनकर अपने घर परमधाम जाएगी।
कुछ श्रेष्ठ आत्माओं का शरीर बर्फ में दब जायेगा। फिर विनाश के बाद , आत्माएं परमधाम से वापस आकर बर्फ में दबे शरीरों में प्रवेश करेंगी और इसी तरह सतयुग नई दुनिया की सुरुवात होगी।
जहां प्रकृति सर्वगुण संपन्न और आत्माएं 16 कला सम्पूर्ण होगी।
ॐ शांति का इतिहास?
कलकत्ते में साक्षात्कारों का पता पड़ने के बाद वे वापस अपने घर सिंध हैदराबाद आ गए। (जो अभी पाकिस्तान में है ) पहले इस यज्ञ का नाम ॐ मण्डली था। लोग ॐ -ॐ ध्वनि का उच्चारण करते थे। कई लोगों को साक्षात्कार भी होता था।
बताया जाता है कि सुरुवात के 10 साल इस यज्ञ को incognito (बाहरी दुनिया से अलग ) - गुप्त रखा गया। जिसमे लोग ध्यान में जाते थे और प्यू की वाणी चलती थी ( जिस तरह अभी मुरली चलती है )
और परमपिता शिव अन्य कई बच्चों में भी प्रवेश करते थे और प्यू की वाणी चलाते थे और ब्रह्मा बाबा लिखते थे।
(मुरली पॉइंट - ऐसे ऐसे बच्चे थे जो मम्मा बाबा को भी drill कराते थे teacher हो बैठते थे ,और यह बैठ लिखते थे। )
फिर 1947 में ,देश आज़ाद होने के बाद यह संगठन करांची आ गया। और फिर 1951 में माउंट आबू राजस्थान में स्थापित हो गया। तब से यह यज्ञ विस्तार तो पाते जा रहा है। 1969 में दादा लेखराज (ब्रह्मा ) का शरीर छूट जाता है। और दीदी - दादियां यज्ञ के संचालक बनते है।
मुख्य बात - मृत्यु होने के बावजूद ब्रह्मा की आत्मा गुलज़ार दादी में प्रवेश करके direction देते है अव्यक्त वाणी चलाते है। और इसे सुनने के लिए हज़ारों की संख्या में लोग देश -विदेश से आते हैं। इसे live tv के द्वारा भी दिखाया जाता है। तब ये यह यज्ञ इसी तरह चल रहा है।
ॐ शांति की स्थिति -वर्तमान समय में।
वर्तमान समय में परमपिता शिव गुप्त रूप में कार्य कर रहे हैं। जिसके बारे में अव्यक्त वाणी में कहा -
पहले बाबा ब्रह्मा में प्रवेश किये , फिर गुलज़ार में किये। अब किसमे प्रवेश किये ? जिसमे प्रवेश करना था उसमे किये। .... बाबा की सिर्फ आवाज़ जानी चाहिए ,किसका तन लिया यह प्रत्यक्ष नहीं होना चाहिए क्योंकि तीनो नदियों में एक नदी को गुप्त दिखाया है ना। ( अव्यक्त वाणी - 23 . 07 . 2017 )
तो शिव का पार्ट अभी भी चल रहा है। स्थापना ,पालना ,विनाश का कार्य अब पूरा होने वाला है। पुरुषार्थ का समय अब ख़त्म हुवा।
ऐसे देश -विदेश में हज़ारों ॐ शांति के आश्रम हैं - जहां पे जाकर आप राजयोग का ज्ञान ले सकते हैं और अपने जीवन को हिरे तुल्य बना सकते हैं।
ॐ शांति। धन्यवाद।
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