Aatma Kaisa Dikhta Hai


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे आत्मा के रूप के बारे में कि आत्मा कैसा दीखता है ? आत्मा का रंग क्या है ? आत्मा को हम कैसे देख सकते हैं ? आत्मा का क्या आकार है ? और भी कुछ नई जानकारी आत्मा के बारे में।
इस पोस्ट से पहले हमने शरीर में आत्मा कहां है ? इसके बारे में जाना था और आज हम जानेंगे आत्मा के रूप के बारे में। तो पढ़ते रहिये और जानते रहिये अपने आत्मा के बारे में।

aatma kaisa dikhta hai
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आत्मा कैसा दीखता है ?

हम आपको कोई अंधश्रद्धा के बारे में नहीं बताएँगे बल्कि प्रूफ के साथ बताएँगे और कुछ उदाहरण भी देंगे जिससे की आपको आसानी से समझ में आ सके।

आज तक किसी ने आत्मा को अपने आँखों से नहीं देखा है इसका मतलब ये नहीं होता कि आत्मा होती ही नहीं है आत्मा होती है और उनको देखा भी जा सकता है।
जैसे वायुमंडल में छोटे-छोटे कीड़े होते हैं जिन्हे हम अपने आँखों से नहीं देख पाते उसे देखने के लिए हमें microscope की जरूरत होती है वैसे ही आत्मा को हम अपने आँखों से नहीं देख सकते , वह इतनी छोटी है कि उसे microscope भी नहीं देख सकता उसे देखने के लिए हमें तीसरे आँख की जरूरत होती है।

अब आप कहेंगे कि ये हम तीसरा आँख कहाँ से लाएंगे ये practical नहीं है क्योंकि सिर्फ देवी-देवताओं को तीसरा आँख दिखाया जाता है ना की मनुष्यों को। लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि तीसरा आँख आपके पास भी है तब आप क्या कहेंगे ? तीसरा आँख कोई सच का आँख नहीं होता बल्कि ज्ञान का आँख होता है जिसे हर व्यक्ति अपने ज्ञान के अनुसार उसे अनुभव कर सकता है।

तो वो ज्ञान मैं आपको बता रहा हूँ जिससे कि आप अपने तीसरे आँख से आत्मा को देख पाएंगे।

आत्मा का रूप क्या है ?

मैंने अपने पिछले post में आपको बताया था कि आत्मा निराकार है इसका मतलब हम आत्मा को देख नहीं सकते। लेकिन आत्मा निराकार तो है लेकिन वो इतना शुक्ष्म है कि उसे निराकार ही समझा जाता है। जहां तक आत्मा के रूप की बात आती है तो वो अति शुक्ष्म ज्योतिबिंदु है। वह atom से भी लाखों गुना छोटी है इसीलिए कोई उसे देख नहीं सकता।

और एक वजह है कि वो ज्योति बिंदु है यानि वो ज्योति (light ) है। वह एक शुक्ष्म light है जो हर जगह जा सकती है दिवार के भी पार जा सकती है, उस light को कोई भी रोक नहीं सकता है।
तो आप समझ गए होंगे कि आत्मा को लोग निराकार क्यों कहते हैं और उसका रूप क्या है।

आत्मा का क्या रंग है ?

जहां तक आत्मा के रंग की बात आती है तो वो सफ़ेद है। ऐसा इसलिए क्योंकि आत्मा पवित्र और शांति प्रिय है।
जिस तरह पवित्रता को और light को सफ़ेद रंग से दिखाते है उसी तरफ आत्मा एक सफ़ेद point light की तरह है। किसी भी वस्तु की पहचान के लिए रंग और रूप की जरूरत होती है तो मुझे अब लगता है कि आत्मा के रंग और रूप के बारे में आपको पता चल गया होगा।

रंग - सफ़ेद ,
रूप -ज्योतिबिंदु।

आत्मा = सफ़ेद ज्योतिबिंदु।


आत्मा को हम कैसे देख सकते हैं ?


यदि आप आत्मा को देखना चाहते हैं तो आपको अपना तीसरा नेत्र खोलना होगा यानि आपको अपने अंदर ज्ञान की प्रकाष्ठा लानी होगी। जैसा कि आपको पता चल गया कि आत्मा सफ़ेद ज्योतिबिंदु है , तो अब आप सभी को सफ़ेद ज्योतिबिंदु समझेंगे तो धीरे-धीरे practice बढ़ने से सभी लोग आपको आत्मा ही दिखाई देगा जिससे की आप उसके संकल्पों को पढ़ पाएंगे।

और जहां तक बात आती है कि अपने शरीर के आँखों से देखने की तो वो नहीं हो सकता कोई भी इंसान अपने आँखों से आत्मा को नहीं देख सकता। यदि कोई व्यक्ति अपनी आँखों से आत्मा को देखने की बात करता हो तो वह झूठ बोल रहा है।

Proof :- जब कोई औरत गर्भ धारण करती है तो 3 से 4 महीने उसे गर्भ तैयार करने में लग जाते हैं और 3-4 महीने के बाद आत्मा की गर्भ में प्रवेशता होती है। जब आत्मा गर्भ में प्रवेश करती है तब माँ को अनुभव होना शुरू हो जाता है कि गर्भ में कोई आ गया है। इससे साबित होता है कि आत्मा शरीर के अलग कोई चीज है।

Proof 2 :- सभी धर्म वाले भगवान को निराकार मानते हैं। तो आप बोलिये कि सांप का बच्चा  कैसा होगा ? हांथी का बच्चा कैसा होगा ? मनुष्य का बच्चा कैसा है ? उसी तरह आत्मा का बच्चा कैसा होगा ?
आप कहेंगे सांप का , हांथी का बच्चा सांप और हांथी जैसा ही होगा उसी तरह मनुष्य और आत्मा का बच्चा भी मनुष्य और आत्मा के जैसा ही होगा।

भगवान निराकार है तो भगवान का बच्चा भी निराकार ही हुवा। ये बात भी धर्मों के अनुसार साबित हो जाती है।
हिन्दू धर्म के लोग देवी-देवताओं को मानते हैं लेकिन वह उतने पुराने हैं कि सब भूल गए हैं। वह पूजा तो करते हैं निराकार की लेकिन जानते नहीं है।

शिवलिंग का पूजा करते हैं :- दरहसल शिवलिंग का पूरा नाम - शिव ज्योतिर्लिंग है। यानि ज्योति का लिंग। light का लिंग। यहां पर भी आप देख सकते हैं कि हिन्दू भी निराकार को मानते हैं। लेकिन हिन्दू अलग हैं वो निराकार के साथ साकार को भी मानते हैं। यानि निराकार + साकार = शिव ज्योतिर्लिंग।

शंकर में जो तीसरा नेत्र है वो निराकार की यादगार में दिखाया जाता है जिसे सभी शिव नेत्र कहते हैं और शिवलिंग में भी बिंदी को निराकार की यादगार में दिखाया जाता है।  सोमनाथ के मंदिर में उसी निराकार की यादगार में कोहिनूर हिरा को लगाया गया था जिसे मुसलमान और फिर बाद में अंग्रेज अपने साथ ले गए।

यदि अन्य धर्मों को भी पता होता कि ये निराकार की भी पूजा करते हैं तो वो सायद मंदिरों को नहीं लुटते। तो यहां से ये साबित हो जाता है कि हरेक धर्म के लोग निराकार को मानते हैं और निराकार भगवान का बच्चा भी निराकार ही होता है। और इस तरह आत्मा भी निराकार ज्योति बिंदु स्वरुप है।

तो भाइयों ये थी जानकारी कि आत्मा कैसा दीखता है। मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपका कोई सवाल है या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।


और इस post को अपने दोस्तों तक जरूर share करें ताकि और लोगों तक ये जानकारी पहुँच सके।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद। 

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