नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम बात करेंगे कि आत्मा स्त्री है या पुरुष है ? आत्मा को कई लोग पुरुष मानते हैं और कई लोग स्त्री मानते हैं लेकिन सच्चाई क्या है इसके बारे में आज हम जानेंगे। हम आपको कुछ examples भी देंगे जिससे की आपको समझने में आसानी होगी। तो इस post को आप अंत तक पढ़िए आपको पूरी जानकारी आत्मा के स्त्री और पुरुष के बारे में मिल जाएगी।
Soul Is Male or Female -आत्मा स्त्री है या पुरुष ?
आत्मा ना तो स्त्री है और ना ही पुरुष है। ये बात आपको जानके कुछ अजीब लग रहा होगा लेकिन ये सच है। आत्मा जब पुरुष शरीर का आधार लेती है तो आत्मा को पुरुष कहा जाता है और स्त्री शरीर का आधार लेती है तो उसे स्त्री कहा जाता है। आत्मा को हम स्त्रीलिंग और पुर्लिंग के आधार पर नहीं बाँट सकते।
लेकिन कई लोग इसे पुरुष के लिए इस्तेमाल करते हैं तो कई इसे स्त्रीलिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं।
जैसे - आत्मा होती है (स्त्रीलिंग ) , आत्मा होता है। (पुर्लिंग ) तो दोनों वाक्यों को सुनने में कोई गलती नहीं लगती है। इससे पता चलता है कि आत्मा को लोग स्त्री भी मानते है और पुरुष भी मानते हैं।
लेकिन गजब की बात ये है कि आत्मा Neutral है। ना ही वो स्त्री है और ना ही पुरुष है।
aatma male or female |
आत्मा को स्त्री और पुरुष संस्कारों के आधार पर कहा जाता है। आपने कई बार देखा होगा कि कुछ ऐसी औरतें होती है जो पुरुषों के जैसे हाव-भाव करती है और कुछ पुरुष भी ऐसे होते हैं जो औरतों जैसे हाव-भाव करते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें जन्म से वैसे ही संस्कार मिले हैं। और उस संस्कार की वजह से वह अगले जन्म में अपना लिंग बदल लेती है और पुरुष स्त्री बन जाता है और स्त्री पुरुष बन जाती है।
इसके अलावे और भी कई कारन है शरीर के लिंग परिवर्तन के। जीवन भर स्त्री को पुरुष का शरीर आकर्षित करता है और पुरुष को स्त्री का शरीर आकर्षित करता है। और इस आकर्षण की वजह से भी आत्मा हमेशा स्त्री और पुरुष दोनों शरीर धारण करती है।
इसको यदि साफ़ -साफ़ कहें तो एक जन्म आत्मा स्त्री बनती है तो दूसरी जन्म आत्मा पुरुष बनती है। और ये कोई अंधश्रद्धा की बात नहीं है। इस दुनिया में कई लोगों ने अपने पिछले जन्मों के बारे में जाना है जिसमे से 80 % लोगों ने माना है कि मैं पिछले जन्म में दूसरे लिंग का था।
Ex - Barbro Karlen (Swedish लड़की )
आत्मा कितने समय तक एक ही लिंग में रह सकती है ?
तो यहां पर आप देख सकते हैं कि आत्मा अपने संस्कारों की वजह से शरीर को धारण करती है। लेकिन कोई भी आत्मा लगातार ज्यादा से ज्यादा 2 जन्म तक ही स्त्री या पुरुष के शरीर के रूप में जन्म ले सकती है फिर उसको अपना शरीर का लिंग बदलना होता है। ऐसा इसलिए ताकि दुनिया में समानता बनी रहे।
उदाहरण :- पपीते का बीज होता है। जब उसे जमीन में रोपा जाता है तब पता नहीं होता कि ये male के रूप में जन्म लेगा या female के रूप में। बाद में पता चलता है जब बीज बड़ा होकर वृक्ष बन जाता है। और इस तरह पपीते में समानता बनी रहती है और इसीतरह दुनिया कि हरेक आत्माओं को ये पता नहीं होता कि मैं male के रूप में जन्म लूंगा या female के रूप में।
मृत्यु तक आत्मा के जैसे संस्कार होंगे उनके आधार पर उनको अगला जन्म मिलेगा। यदि किसी पुरुष ने जीवन भर शादी नहीं की और महिलाओं से प्रभावित नहीं हुवा तो हो सकता है कि वह अगला जन्म पुरुष ही ले। इसीतरह महिला भी जीवन भर कुवारी होगी या विद्वा होगी तो हो सकता है कि अगले जन्म वो स्त्री ही बने। ये सब संस्कारों की बात है।
सार :- इस post का सार यही है कि आत्मा ना ही पुरुष है और ना ही स्त्री है। आत्मा कभी स्त्री के शरीर को धारण करती है तो कभी पुरुष के शरीर को धारण करती है। आत्मा लगातार 2 जन्म एक ही लिंग के रूप में रह सकती है फिर उसे अपना लिंग बदलना होता है। आत्मा अपने जीवन भर के संस्कारों की वजह से लिंग को बदलती है। यदि कोई व्यक्ति चाहे की मैं लगातार पुरुष मैं ही जन्म लू तो ये नहीं हो सकता।
तो मेरे भाइयों ये थी जानकारी कि आत्मा स्त्री है या पुरुष है। मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
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अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत -बोहोत धन्यवाद।
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