नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे सरस्वती पूजा के बारे में। सरस्वती पूजा कब और क्यों मनाया जाता है ? इसका आध्यात्मिक रहस्य - महत्व और सिख क्या है ? सरस्वती का मतलब क्या होता है ? सरस्वती देवी कौन है और उनकी पूजा क्यों होती है ? सरस्वती पूजा कब होती है और उसे हम कैसे मनाते हैं ? सरस्वती पूजा करने से क्या फायदा होता है ? और अंत में यह भी जानेंगे कि सरस्वती पूजा करना जरूरी है या उनके द्वारा बताये गए रास्ते पर चलना ज्यादा जरूरी है ? तो इस post को अंत तक पढ़े और जानिये अपने सरस्वती देवी के बारे में।
saraswati puja kyu manate hai |
सरस्वती पूजा ज्ञान को बढ़ाने के लिए करते हैं। यह आंतरिक ज्ञान और सामाजिक ज्ञान दोनों को बढ़ाने के लिए किया जाता है। हरेक साल बसंत पंचमी को माघ महीने में (Jan-Feb ) में मनाया जाता है। यदि शास्त्रों के नजरिये से देखें तो ब्रह्मा के साथ सरस्वती का नाम जोड़ा जाता है। ब्रह्मा -सरस्वती। लेकिन इससे लोग सरस्वती को ब्रह्मा की पत्नी समझ लेते हैं जबकि सरस्वती ब्रह्मा की बेटी है ना की पत्नी।
ब्रह्मा ने सृष्टि रचने के बाद , सृष्टि में ज्ञान और संगीत की जिम्मेवारी सरस्वती को सौंप दी। तब से सरस्वती देवी सृष्टि में ज्ञान को बनाये रखी है। सरस्वती ज्ञान की देवी है लोग जितना उनकी अराधना करते हैं उतना लोगों को ज्ञान प्राप्त होता है।
Q . लेकिन प्रश्न यह है कि यदि वह ज्ञान की देवी है, ज्ञान लोगों को देती है तो इस दुनिया में सभी ज्ञानी होने चाहिए कोई भी कमअक्ल वाले नहीं होने चाहिए ?
तो इसका जवाब है कि सरस्वती देवी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है , वह सभी को एकसमान ज्ञान देती है लेकिन लेने वाले ज्ञान लेने की प्रक्रिया को नहीं जानते इसीलिए वे ज्ञान को नहीं ले पाते।
सरस्वती पूजा मनाने का मकसद ही यही है कि हम सरस्वती देवी से ज्यादा से ज्यादा ज्ञान ले सके लेकिन आज के लोग उस प्रक्रिया को भूल गए हैं और अगरबत्ती जला देते हैं मंत्र पढ़ लेते हैं और समझते हैं हमपर सरस्वती देवी की कृपा हो जाएगी लेकिन ऐसा होता कुछ भी नहीं। तो वो परिक्रिया क्या है ? जानने के लिए इस post को अंत तक पढ़ते रहें।
सरस्वती पूजा का आध्यात्मिक रहस्य?
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अंधश्रद्धा ,भक्ति करते हैं और कुछ लोग ऐसे हैं जो ज्ञान और Proof पर यकीन रखते हैं। तो आध्यात्मिकता आपको ज्ञान बताती है जिससे कि आप सरस्वती पूजा के रहस्यों को समझ पाते हैं।
समय - यदि हम भारतीय calendar को देखें तो ये साल के अंत होने से ठीक 1 महीने पहले मनाया जाता है।
इसका कारन है कि जब लोग साल भर मस्ती करते-करते ज्ञान अंधियारे में चले जाते हैं और तब ज्ञान की देवी उन्हें ज्ञान अंधियारे से ज्ञान सोझरे में लाती है।
कहने का अर्थ है कि जब मनुष्य के सभी धन ,दौलत ,कमाई ख़त्म हो जाती है तब उनका ज्ञान ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।
सरस्वती के वस्त्र - हमेशा सफ़ेद ही दिखाते हैं जो की पवित्रता को दर्शाती है।जिस तरह शरीर के वस्त्र कपडे होते हैं उसी तरह आत्मा का वस्त्र शरीर है और इस शरीर रुपी वस्त्र को पवित्र रखना है। यानि यदि आपको सरस्वती देवी से ज्ञान चाहिए तो आपको पवित्रता को अपनाना होगा क्योंकि पवित्र बुद्धि में ज्ञान आसानी से बैठता है और इसीलिए पहले पढ़ रहे बच्चों को आश्रम में ब्राह्मण बनकर पवित्र रहकर ज्ञान लेना होता था।
(पवित्र = ब्रह्मचारी )
सरस्वती का वाहन - हंस , जिसके लिए कहा जाता है कि हंस मोती चुनते हैं यानि जो सरस्वती से ज्ञान चाहते हैं उन्हें हंस के जैसे मोती चुनना आना चाहिए। यहां मोती का मतलब है कि लोगों को ज्ञान लेते समय देखना चाहिए कि ये ज्ञान लोगों के भलाई के लिए है या बुराई के लिए।
यदि आपका ज्ञान लोगों को दुःख देता हो तो वो ज्ञान , ज्ञान नहीं श्राप बन जाता है।
सफ़ेद कमल - सरस्वती देवी को हमेशा सफ़ेद कमल के ऊपर विराजमान दिखाया जाता है। क्या आप कीचड़ में भी रहकर कमल फूल की तरह खिल सकते हैं और वो भी सफ़ेद यानि पवित्र रहकर।
कीचड़ में रहकर - यानि आपके आस -पास का वातावरण भले ही ख़राब हो , आपके दोस्त -घरवाले -रिस्तेदार भले ही ख़राब हो फिर भी आप उनके बिच में रहकर उनसे अलग बन सकते हैं और पवित्र रहकर ज्ञान लेकर संसार में खिल सकते हैं।
शास्त्र और माला - जिस तरह ब्रह्मा के हाथों में शास्त्र दिखाते हैं उसी तरह सरस्वती के हाथों में भी शास्त्र दिखाते हैं यानि बुद्धि रुपी हाथों में सदैव ज्ञान रहे। बुद्धि में ज्ञान होगा तो विचार ज्ञान युक्त होंगे , विचार ज्ञान युक्त होंगे तो कर्म automatically ज्ञान युक्त ही होंगे इसीलिए बुद्धि में सदैव ज्ञान रखना।
माला - माला यानि संगठन। क्या आप भी अपने ज्ञान से संगठन बना सकते हैं। लोगों को अपने ज्ञान से प्रभावित कर सकते हैं उन्हें एक सच्चा इंसान बना सकते हैं उनको अपने तरफ कर सकते हैं। यही है माला की निशानी।
माला फेरना अलग और माला बनाना अलग है। माला फेरना ये भक्ति मार्ग का काम है और माला बनाना ये ज्ञानियों का काम है।
विणा - क्या आपके जीवन में संगीत है। जीवन में संगीत का मतलब क्या आपको जीवन जीने में मज़ा आता है।
जिस तरह संगीत सुनकर सुकून मिलता है उसी तरह का सुकून आपके ज़िन्दगी में होना ऐसा सरस्वती देवी की अराधना से ही हो सकती है।
तो सरस्वती देवी से ज्ञान लेने का रहस्य है :- ज्ञान लेते समय पवित्र रहना , मोती के समान सच्चे ज्ञान पर चलना , भले ही आपके आस-पास का वातावरण ख़राब हो उसमे भी सफ़ेद कमल की तरह निखर कर रहना , ऐसा रहने से ज्ञान स्वतः ही बुद्धि में समाते रहेगी और फिर आपके ज्ञान से संगठन रुपी माला तैयार होने लगेंगे ,लोग आपके ज्ञान को सुनना चाहेंगे तो फिर आपके ज्ञान से आपका जीवन वीणा की तरह संगीतमय हो जाएगी।
सरस्वती का मतलब क्या है ? महत्व और सिख।
सरस्व= सारी दुनिया को
ती = तारने वाली , कल्याण करने वाली
सरस्वती =सारी दुनिया को ज्ञान द्वारा कल्याण करने वाली।
सरस्वती अपने आप में एक inspirational नाम है। सरस्वती नाम से ही मन में पवित्रता आने लगती है।
इसका महत्व बोहोत बड़ा है। ज्ञान का महत्व हमेशा से रही है लेकिन ज्ञान पाने के लिए जो पवित्रता चाहिए उसको लोग भूल गए हैं।
और इसी को लेकर भगवतगीता में एक श्लोक भी है :-
गीता 4 /38 :- न ही ज्ञानेन सदृशं पवित्रमीह विद्यते।
यानि इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र कुछ भी नहीं होता।
ज्ञान और पवित्रता एक दूसरे के परस्पर हैं। जहां ज्ञान हैं वहाँ पवित्रता है और जहां पवित्रता है वहाँ ज्ञान स्वतः ही है।
यह सच है कि ज्ञान की भूक सभी लोगों को नहीं होती है। लोग खाते -पिते पशु के समान अपना जीवन बिता देते हैं। ऐसे लोग इन्द्रियों के सुख को ही समझ पाते हैं। लेकिन जो ज्ञानी होते हैं वे अतीन्द्रिय सुख पाते हैं , जब वह अपने ज्ञान से कुछ नया बनाते हैं तब उन्हें इतनी ख़ुशी होती है जितनी ख़ुशी उन्हें कोई नहीं दे सकता। वह इन्द्रियों से परे मन -बुद्धि का सुख होता है। ऐसे लोगों को सारी दुनिया सम्मान करती है और जन्म -जन्मांतर तक याद करती है। ऐसे लोग के लिए सभी के दिलों में आदर और सम्मान होता है और यही वह चीज है जो खरीदी नहीं जा सकती।
सरस्वती पूजा से सिख :- हम हरेक साल सरस्वती पूजा इसलिए मनाते हैं ताकि हमें सदैव याद रहे कि कैसी भी परिस्थिति आ जाये यदि हमारे पास ज्ञान है तो हम किसी भी समय ,कैसी भी परिस्थिति में ,किसी भी समस्या से बाहर आ सकते हैं। हम अपने बुरे हालातों का सामना कर सकते हैं और अच्छे समय में एक समान स्थितप्रज्ञ रह सकते हैं।
सरस्वती पूजा करना जरूरी है या उनके बताये रास्ते पर चलना ज्यादा जरूरी है ?
आज सच्चे भक्त भी है तो झूठे भक्त भी हैं। सच्चे भक्त वो जो सरस्वती देवी के बताये मार्गों पर चलते हैं और झूठे भक्त वे जो सिर्फ दिखावे के लिए एक दिन के लिए पूजा करते हैं।
पूजा करना यानि उनकी धारणाओं को मानना। कोई कहे हम महात्मा गाँधी की पूजा करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि गाँधी की पूर्ति लगाकर उनको अगरबत्ती दिखाना। गाँधी ने जैसा कर्म करके दिखाया उनको सम्मान करना उनके धारणाओं पर चलना ये ही पूजा है।
एक दिन की पूजा से कुछ नहीं मिलता ये सब जानते हैं। आप परीक्षा में एक दिन की पूजा से पास नहीं हो सकते उसके लिए सरस्वती देवी ने जो धारणाये बताई है उसपर चलना जरूरी है। और वही असली पूजा है।
उदाहरण:- यदि कोई बच्चा रोज अपने माँ -बाप के पैर छूता हो और उनकी बातों को नहीं मानता हो तो वह बच्चा माँ -बाप से सम्मान नहीं पाता। वहीँ दूसरा बच्चा पैर आदि नहीं छूता हो और अपनी माँ -बाप की बात मानता हो तो वो बच्चा अपने माँ -बाप से सम्मान पाता है।
उसीतरह अपने देवी -देवताओं के प्रति क्रियाक्रम करने से ज्यादा जरूरी है कि हम उनकी बातों को माने और उनके बताये गए मार्गों पर चलें और यही आध्यात्म सिखाता है।
तो दोस्तों ये थी जानकारी सरस्वती पूजा के बारे में और उसके महत्व-सिख के बारे में। मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आयी होगी।
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अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद।
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