नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) का पालन अपने जीवन में करने के बारे में।
जिसमे हम बात करेंगे :-
जिसमे हम बात करेंगे :-
- ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) क्या है ?
- बुरे विचारों का क्या मतलब है ?
- ब्रह्मचर्य में अच्छे विचार क्या है ?
- ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) काम कैसे करती है ?
- अपवित्रता से जीवन में क्या नुकसान होता है ?
- ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) का पालन कैसे करते हैं ?
- ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) से जीवन में क्या फायदे होते हैं ?
brahmacharya palan kare |
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ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) क्या है ?
ब्रह्मचर्य का मतलब होता है ब्राह्मण जैसा आचरण करना। जैसे ब्राह्मण चरित्र ( संस्कार ) करते हैं वैसे ही चरित्र करना।
वहीँ पवित्रता का मतलब होता है - सभी को आत्मा के रूप में देखना और सभी को आत्मा-आत्मा भाई-भाई समझना।
जैसे - आजकल के लोग पवित्रता का मतलब साफ़-सफाई समझते हैं लेकिन किसकी साफ़-सफाई ? ये नहीं समझ पाते। तो पहले-पहले सफाई आत्मा में आ रही बुरे विचारों की। बुरे विचारों की सफाई होते ही आत्मा स्वतः ही पवित्र बन जाएगी और फिर शरीर भी पवित्र बन जायेगा। क्योंकि आत्मा बीज है , और शरीर वृक्ष है। जब बीज सुधरता है तो वृक्ष अपने आप सुधर जाता है।
बुरे विचारों का क्या मतलब है ?
ब्रह्मचर्य का पालन करने के सम्बन्ध में बुरे विचार वो हैं तो आत्मा को शरीर के तरफ आकर्षण करते हैं। शरीर के सुख उन्हें बार-बार याद आते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बुद्धि बार-बार शरीर के इन्द्रियों पर ही चली जाती है। ऐसे लोग दूसरों के शरीर से प्रभावित होते हैं और अपने भी शरीर की इन्द्रियों से प्रभावित होते हैं।
तो ब्रह्मचर्य के सम्बन्ध में यही बुरे विचार हैं , ऐसे ही बुरे विचारों में फँस कर मनुष्य जानवर के समान बन गया है। ऐसे विचारों में फंसा हुवा मनुष्य कभी भी कोई अच्छा काम नहीं कर सकता। उनकी बुद्धि वहीँ गटर में ही धरी रहती है , इसलिए वे अपनी बुद्धि से अच्छे काम नहीं कर पाते और जानवर की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) में अच्छे विचार क्या हैं ?
ब्रह्मचर्य का पालन करने के सम्बन्ध में अच्छे विचार हैं -
सबके प्रति आत्मा-आत्मा भाई-भाई की दृष्टि रखने से लोगों का आपस में रूहानी प्यार बढ़ता है। लोगों में विश्वास बढ़ता है , सच्चाई , ईमानदारी जैसे संस्कार उत्पन्न होते हैं। और इस संसार के सभी लोग एक ही माँ -बाप के बच्चे हैं ऐसा अनुभव होता है।
ऐसी अनुभूति होने के बाद जब ब्रह्मचर्य की शक्ति बढ़ती है , तो फिर शरीर ,ऊर्जा का भंडार बन जाता है। व्यक्ति से ऐसे-ऐसे काम होते हैं जो दुनिया को बदलने की हिम्मत रखते हैं।
लेकिन ये सभी कुछ होता है अच्छे विचारों से , ऐसे व्यक्ति शरीर से ऊपर उठ कर आत्मा के संस्कारों को देखते हैं ,प्रकृति की सुंदरता को देखते हैं , अपनी चेतना से सारी ज़िन्दगी जीते हैं और अतीन्द्रिय सुख अनुभव करते हैं ,जिसे आत्मा का सुख कहा जाता है।
सभी के प्रति उनके दिलों में शुभ भावना रहती है , ब्रह्मचर्य की power से उनकी आत्मा से रूहानियत की vibration (तरंगे ) निकलती है जो वायुमंडल को सुद्ध बनाती है , और प्रकृति भी ऐसे लोगों को नमस्कार करती है।
तो आप भी , जब किसी से मिले तो उसे आत्मा समझे , और उसके प्रति शुभ भावना रखें फिर देखिये क्या परिवर्तन आता है।
ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) काम कैसे करती है ?
लोग कहते हैं ग्रहों और प्रकृति के अनुसार आत्मा में परिवर्तन होता है ,लेकिन शिवबाबा कहते हैं आत्मा के अनुसार प्रकृति के 5 तत्व भी बदलते हैं। आत्मा सतोप्रधान (पवित्र ) बनती है तो प्रकृति भी पवित्र बनती है। और आत्मा जब अपवित्र बनती है तो प्रकृति भी अपवित्र बनती है।
उदाहरण :- जो जंगलों में जानवर रहते हैं और जो मनुष्यों के साथ जानवर रहते हैं उनमे से बीमार कौन से जानवर ज्यादा होते हैं ?
कहेंगे जो मनुष्यों के साथ जानवर रहते हैं वो ज्यादा बीमार होते हैं। क्योंकि वे जानवर मनुष्यों के वृत्ति के प्रभाव में आ जाते है।
अभी मनुष्य आत्मा ज्यादा विकारी है इसीलिए जानवर भी ऐसे ही हैं और ये प्रकृति भी तमोप्रधान (अपवित्र ) बनते जा रही है।
अब जैसे-जैसे आत्मा पवित्र बनते जाएगी , वैसे-वैसे प्रकृति भी बदलते जाएगी और एक सुनहरा युग फिर से स्थापन होगा।
हरेक आत्मा के अंदर से wave (vibration ) निकलता है जिसका प्रभाव उसके आस-पास में रह रहे लोगों , जिव -जंतु , पेड़ पौधों इत्यादि में पड़ता है।
तो vibration से सारी दुनिया चलती है। और ये vibration आत्मा अपने संकल्पों (विचारों ) से बनाती हैं।
आत्मा पवित्र संकल्प करती है तो वह पवित्र vibration दुनिया में देती है। और अपवित्र संकल्प करती है तो अपवित्र vibration दुनिया को देती है।
और इस प्रकार ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) की शक्ति काम करती है , दुनिया को बदलने के लिए।
लोग कहते हैं ग्रहों और प्रकृति के अनुसार आत्मा में परिवर्तन होता है ,लेकिन शिवबाबा कहते हैं आत्मा के अनुसार प्रकृति के 5 तत्व भी बदलते हैं। आत्मा सतोप्रधान (पवित्र ) बनती है तो प्रकृति भी पवित्र बनती है। और आत्मा जब अपवित्र बनती है तो प्रकृति भी अपवित्र बनती है।
उदाहरण :- जो जंगलों में जानवर रहते हैं और जो मनुष्यों के साथ जानवर रहते हैं उनमे से बीमार कौन से जानवर ज्यादा होते हैं ?
कहेंगे जो मनुष्यों के साथ जानवर रहते हैं वो ज्यादा बीमार होते हैं। क्योंकि वे जानवर मनुष्यों के वृत्ति के प्रभाव में आ जाते है।
अभी मनुष्य आत्मा ज्यादा विकारी है इसीलिए जानवर भी ऐसे ही हैं और ये प्रकृति भी तमोप्रधान (अपवित्र ) बनते जा रही है।
अब जैसे-जैसे आत्मा पवित्र बनते जाएगी , वैसे-वैसे प्रकृति भी बदलते जाएगी और एक सुनहरा युग फिर से स्थापन होगा।
हरेक आत्मा के अंदर से wave (vibration ) निकलता है जिसका प्रभाव उसके आस-पास में रह रहे लोगों , जिव -जंतु , पेड़ पौधों इत्यादि में पड़ता है।
तो vibration से सारी दुनिया चलती है। और ये vibration आत्मा अपने संकल्पों (विचारों ) से बनाती हैं।
आत्मा पवित्र संकल्प करती है तो वह पवित्र vibration दुनिया में देती है। और अपवित्र संकल्प करती है तो अपवित्र vibration दुनिया को देती है।
और इस प्रकार ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) की शक्ति काम करती है , दुनिया को बदलने के लिए।
अपवित्रता - विकार में जाने से नुकसान।
ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए , विकार के नुकसान को भी समझना बोहोत जरूरी है ,तब ही बुद्धि सही और गलत का निर्णय कर पायेगी।
ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए , विकार के नुकसान को भी समझना बोहोत जरूरी है ,तब ही बुद्धि सही और गलत का निर्णय कर पायेगी।
- काम विकार में जाने से आत्मा पतित बनते जाती है , जिससे यह दुनिया भी पतित बन जाती है।
- काम विकार में जाने से काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह ,अहंकार। सभी विकारों की वृद्धि हो जाती है। मुख भी गन्दा हो जाता है और लोग आपस में ही एक दूसरे को गाली देने लगते हैं।
- विकार में जाने से सारा ज्ञान उड़ जाता है , सारा पुरुषार्थ ख़त्म हो जाता है ,सारी की कमाई (आत्मा की ) चौपट हो जाती है।
- विकार देह का सुख है और अभी शिवबाबा आत्मा का सुख देने आए हैं। अतीन्द्रिय सुख देने आए हैं।
- भ्रस्ट इन्द्रियों का सुख भोगने से दुनिया ओर ही भ्रस्टाचारी बन जाती है।
- काम विकार में जाने से ही मनुष्य इतने दुराचारी ,पापी और निर्दयी हो गए हैं।
- काम विकार में जाने से शरीर दुर्बल और आँखों की रोशिनी कम होते जाती है। शरीर जल्दी वृद्ध हो जाता है।
- यदि हम विकार में जाते हैं तो नई पावन दुनिया स्थापन नहीं कर पाएंगे।
ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) का पालन अपने जीवन में कैसे करें
जीवन में ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) का पालन करने का उपाय और उसे सहज धारण करने का उपाय स्वयं शिवबाबा ने बताया है जिसकी जानकारी नीचे दी गई है-
1. { Step -1 सबसे पहले अपने मन में दृढ संकल्प ले कि हमें पवित्रता का पालन करना ही है। चाहे जो हो जाये हम पवित्र बनकर रहेंगे।
Step -2 अपने को भी आत्मा समझना है ,दूसरों को भी आत्मा समझना है। और इस तरह हम सभी आत्मा-आत्मा ,भाई -भाई हैं। }
2. ईश्वरीय ज्ञान से हमें पता चलता है कि आत्मा जब अपने घर से आती है तो एकदम Pure (प्योर ) होती है , फिर बाद में जन्म लेते लेते Impure बन जाती है। तो हम आत्मा भी पहले 100 % प्योर थे , और हम ही सतयुग और त्रेतायुग में पवित्र देवतायें थे , और अब जन्म लेते-लेते कलियुग के अंत में भी हमको ब्राह्मण जन्म मिला है इसीलिए हमारे लिए ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) का पालन करना आसान है।
3. हम सब एक बाप की संतान रूहानी भाई हैं - यह अलौकिक दृष्टि की स्मृति रहने से देहधारी दृष्टि अर्थात लौकिक दृष्टि जिसके आधार से विकारों की उत्पत्ति होती है वह बीज ही समाप्त हो जाता है। जब बीज समाप्त हो गया तो फिर अनेक प्रकार के विस्तार रूपी वृक्ष विकारों का स्वतः ही समाप्त हो जाता है।
4. तो हर भाई महावीर है ,हर बहन शक्ति है। महावीर भी राम का है , शक्ति भी शिव की है। किसी भी शरीरधारी को देख सदा मस्तक के तरफ आत्मा को देखो। नज़र ही मस्तकमणि पर जानी चाहिए। तो क्या होगा ? आत्मा-आत्मा को देखते स्वतः ही आत्म अभिमानी बन जायेंगे।
5. पावन बनने की विशेषता , विशेष युक्ति क्या बताई ? एक के याद से , एक के संसर्ग से , संपर्क से क्या होगी ? पवित्रता आएगी। और अनेकों के संसर्ग ,संपर्क में आने से क्या हुवा ? आत्मा में अपवित्रता आ गई।
{तो एक शिवबाबा को ही मन बुद्धि से याद करना है। जो सभी आत्माओं का बाप है जिसे लोग शिव ,खुदा ,GOD इत्यादि नामों से जानते हैं , लेकिन पहचान करके याद करना है। }
Note :- तो सभी को आत्मा समझने से और शिवबाबा की याद से जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करना आसान हो जायेगा।
इसके लिए आपको practice करनी होगी ,एक दिन में सभी को आत्मा समझने की practice नहीं हो जाएगी ,इसके लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत है।
और शिवबाबा/खुदा /GOD को कैसे याद करना है ? ये आप internet में search करके जान सकते हैं।
और इस तरह बताये गए मुख्य 5 बातों को अपने जीवन में धारण करने से आप ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) का पालन आसानी से कर पाएंगे।
और इस तरह बताये गए मुख्य 5 बातों को अपने जीवन में धारण करने से आप ब्रह्मचर्य (पवित्रता ) का पालन आसानी से कर पाएंगे।
पवित्रता (ब्रह्मचर्य ) जीवन में धारण करने से फायदे/शक्ति ।
- जहां पवित्रता होती है वहाँ सुख और शांति स्वतः ही आ जाती है।
- पवित्रता सभी गुणों की जननी है।
- जो पवित्र रहते हैं वो शिवबाबा की बोहोत मदद करते हैं ,क्योंकि वो पावन दुनिया बनाने में मदद करते हैं।
- पवित्रता के Vibration से दुनिया भी पवित्र बनती है।
- पवित्रता से शरीर के सभी बीमारी ख़त्म हो जाते हैं। आँखों में तेज़ आ जाती है।
- पवित्रता ही लोगों को अपने तरफ आकर्षित करती है।
- पवित्रता से आत्मा की चढ़ती कला होती है , आत्मा की भी बीमारी ख़त्म हो जाती है।
- पवित्रता से ही संगठन बनता है।
- पवित्रता से आपके संकल्प पुरे होने लगते हैं।
- जिसमे जितनी ज्यादा पवित्रता होगी वो उतना बड़ा राजा बनेगा।
- पवित्रता से बुद्धि का विकाश होता है।
- पवित्रता ऐसा खजाना है जिसके आगे सभी खजाने फ़िके पड़ जाते हैं।
- पवित्रता से दुनिया के सभी कार्य होते हैं।
तो दोस्तों यह थी जानकारी ब्रह्मचर्य का पालन करने की और उसे जीवन में धारण करने की। मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
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अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद।
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