नमस्कार दोस्तों तो कैसे हैं आप लोग हमें उम्मीद है कि आप जहां कहीं भी होंगे अच्छे ही होंगे तथा अपने भविष्य में अच्छे मुकाम को हासिल करने के प्रयास में कार्यरत होंगे। दोस्तों आज हम आपके लिए एक टॉपिक लेकर आए हैं जिसका नाम है form16 कैसे भरें।
दोस्तों आज हम आपको फॉर्म 16 के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे कि फॉर्म 16 क्या होता है? यह कहां काम आता है? यह कैसे भरा जाता है? दोस्तों इसके तहत हम आपको फॉर्म 16 को भरने के तरीके के बारे में भी बताएंगे। तो दोस्तों यदि आप हमसे फॉर्म 16 के बारे में जानना चाहते हैं। यदि आप 16 को भरने का तरीका जानना चाहते हैं तो हमे इस टॉपिक को ध्यान से पढ़े।
form 16 क्या है
जब किसी वेतन भोगी कर्मचारी का सलाना का वेतन 5 लाख से ज्यादा हो जाता है तो कंपनी को यह अथोरिटी होती है की वह अपने कर्मचारी के वेतन से हर महीने कुछ पैसे को TDS के रूप में काट लिए जाते हैं। यह वेतन हर तीन महीने में TDS के रूप में कर्मचारी के वेतन से काट लिए जाते है
यह टीडीएस के रुप में जमा हो जाता है इस तरह से साल में कुल 4 TDS जमा हो जाते हैं यही कटा हुआ TDS तथा सैलरी को फॉर्म 16 में भरा जाता है। फॉर्म 16 में दो पार्ट होते है।
form 16a
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form 16b |
लगभग हर कंपनी को इनकम टैक्स अधिनियम के अनुसार अपने वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन देते समय उस फाइनेंशियल ईयर के हिसाब से इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर टीडीएस को काटना जरूरी होता है। कंपनियां कर्मचारियों द्वारा की गई कमाई के आधार पर कर्मचारी पर लागू टैक्स की गणना करती है।
कंपनी द्वारा की गई कटौती टीडीएस आयकर विभाग के पास जमा होती और बदले में फॉर्म 16 उसी का प्रमाण पत्र होता है। कंपनी ने जिस वर्ष कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया था और टीडीएस कटौती की गई थी। उस वर्ष के 31 मई या उससे पहले अपने कर्मचारियों फॉर्म 16 देना होता है।
(1) form 16 Part A
फॉर्म 16 किसी कर्मचारी की सैलरी तथा सैलरी पर कटी हुई टीडीएस के बारे में सारी जानकारी होती है। फॉर्म 16 से ही Income tax की रिटर्न को भरा जाता है तथा इस पर लगने वाला टैक्स फॉर्म 16 के द्वारा ही चेक किया जाता है। फॉर्म 16 दो प्रकार का होता है।
फॉर्म 16 की पार्ट ए में कर्मचारी के विभाग तथा कर्मचारी का डिटेल्स लिखा जाता है। जैसे – जिस विभाग में कर्मचारी काम करता है उससे संबंधित विभाग का नाम, विभाग का पैन नंबर, कर्मचारी का टेन नंबर, विभाग का पता, कर्मचारी का नाम, कर्मचारी का पैन नंबर, एसेसमेंट ईयर डालेंगे
(जैसे – 01/04 से 31/03 तक ) तथा दिनांक उस साल की जिस साल तक कर्मचारी ने कार्य किया हो। tds की संछिप्त में जानकारी चारो क्वार्टर की।
(A) सबंधित विभाग का नाम
फॉर्म 16 में वेतन भोगी कर्मचारी को सम्बंधित विभाग का नाम लिखना होता है। फॉर्म 16 में कर्मचारी को उस विभाग का नाम लिखना होता है जिस विभाग में वह कार्यरत है या जंहा से उसको सैलरी प्राप्त होती है।
(B) विभाग का PAN no
फॉर्म 16 में व्यक्ति से सम्बंधित विभाग का पैन नंबर लिखना होता है। फॉर्म 16 में कर्मचारी को उस विभाग का पैन नंबर लिखना होता है जिस विभाग में वह कार्यरत है। जिससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उस विभाग का पूरा रिकॉर्ड देख सके।
(C) कर्मचारी का TAN no
फॉर्म 16 के पार्ट 2 में व्यक्ति को अपना टैन नंबर भरना होता है बिना TAN no नंबर फीड किए फॉर्म कंप्लीट नहीं होता है। इसलिए जिस भी व्यक्ति का टीडीएस कटता है या काटा जाता है उसे form16 में TAN no भरना जरुरी होता है।
(D) विभाग का पता
फॉर्म 16 में जिस व्यक्ति का टीडीएस काटा जाता है। उस व्यक्ति के फॉर्म 16 में विभाग का पूरा पता लिखना चाहिए। जैसे विभाग कहां पर स्थित है, उस जगह का लैंड मार्क क्या है। उस जगह का पिन नंबर क्या है तथा विभाग किस सड़क, गली या मोहल्ले में है। उसका पूरा एड्रेस लिखना चाहिए।
(E) कर्मचारी का नाम
फॉर्म 16 के पार्ट A में उस व्यक्ति का पूरा नाम लिखना चाहिए। जिस व्यक्ति के नाम पर फॉर्म 16 को बनाया जा रहा है। जैसे नाम,मिडिल नाम, लास्ट नाम लिखना चाहिए जिससे व्यक्ति की पहचान हो सके तथा यह पता चल सके कि व्यक्ति का नाम क्या है।
(F) कर्मचारी का PAN no
जिस भी कर्मचारी के नाम पर form16 को तैयार किया जा रहा है। उसका पैन कार्ड नंबर उसके फॉर्म 16 में लिखना अति आवश्यक है। यह फॉर्म 16 के मेंडेटरी फिल्ड में से एक है। इस लिए form16 में पैन कार्ड नंबर लिखना अति आवश्यक है।
(G) Assessment Year
फॉर्म 16 को भरने के लिए सबसे जरूरी एसेसमेंट ईयर होता है बिना एसेसमेंट ईयर को सेलेक्ट किए या लिखे ही हम फॉर्म 16 को भर नहीं पाएंगे। इसलिए जब हम फॉर्म 16 को भरे तो सबसे पहले हमें एसेसमेंट ईयर लिख लेना चाहिए। एसेसमेंट ईयर 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
(H) दिनांक उस साल की, जब तक कर्मचारी ने कार्य किया हो
फॉर्म 16 में फाइनेंशियल ईयर का मतलब जिस फाइनेंशियल ईयर में कर्मचारी ने कार्य किया है। उस डेट को भी फॉर्म 16 में लिखा जाता है। जिससे कर्मचारी के कार्य का फाइनेंशियल ईयर निर्धारित हो सके।
(I) TDS की संक्षिप्त जानकारी (चारो Quarterly की)
फॉर्म 16 में फाइनेंसियल ईयर और एसेसमेंट ईयर के साथ-साथ टीडीएस का भी पूरा रिकॉर्ड होना चाहिए। कि किस-किस क्वार्टर में कितना टीडीएस कटा है। फॉर्म 16 में चारों के चारों क्वार्टर की TDS का रिकॉर्ड होना चाहिए।
(2) form 16 part B
फॉर्म 16 के पार्ट B में कर्मचारी को अपनी सैलरी तथा सैलरी से कटने वाले टैक्स और मिलाने वाले भत्ते, बोनस और TDS के बारे में लिखा जाता है। जब किसी कर्मचारी की सैलरी 5 लाख सालाना से ज्यादा हो जाता है तो कंपनी उसके मंथली की सैलरी से TDS काटता है जो फॉर्म 16 में भरा जाता है।
जिस भी व्यक्ति के सालाना की इनकम 5 लाख से ज्यादा होता है। कंपनी ऐसे कर्मचारियों को फाइनेंसियल ईयर के ख़त्म होने पर उन्हें form16 देती है। form16 में व्यक्ति के सैलरी, टीडीएस, भत्ता, बोनस आदि के बारे में लिखा होता है। जिससे की कर्मचारी अपने फॉर्म 16 से इनकम टैक्स का रिटर्न भेज सके।
फॉर्म 16 का भाग b एक स्टेटमेंट की तरह होता है। जिसमें कंपनी द्वारा अपने कर्मचारी को किए गए भुगतान की सारी जानकारी होती है। कर्मचारी द्वारा अपने कंपनी को किसी अन्य आय पर किए गए टैक्स भुगतान की राशि या कोई टैक्स बकाया हो तो उसकी जानकारी होती है।
यह कर्मचारी द्वारा अर्जित किया कि आए और उस पर टैक्स की छूट और कटौती की जानकारी देता है। form16 में किसी भी कर्मचारी को इनकम से होने वाले सारे लाभ को दर्शाया जाता है
जैसे उसकी वेतन, उसका allowance, उसकी बोनस आदि चीजों को पूरी तरीके से दर्शाया जाता है। जिसके बेसिस पर ही इनकम टैक्स का रिटर्न फाइल किया जाता है और टीडीएस काटा जाता है।
(A) Salary कर्मचारी की जो भी सबंधित विभाग से मिली हो|
फॉर्म 60 के पार्ट B में व्यक्ति को सबसे पहले अपने सैलरी को दिखाना होता है। कि व्यक्ति ने किस विभाग से 1 साल में कुल कितना सैलरी पाया है पूरा डिटेल लिखना पड़ता है और उसकी रसीद भी रखनी पड़ती है।
(1) वेतन (Section 17 के प्रावधानों के अनुसार)
फॉर्म 16 का भाग b एक स्टेटमेंट की तरह होता है। जिसमें कंपनी द्वारा अपने कर्मचारी को किए गए भुगतान की सारी जानकारी होती है। कर्मचारी द्वारा अपने कंपनी को किसी अन्य आय पर किए गए टैक्स भुगतान की राशि या कोई टैक्स बकाया हो तो उसकी जानकारी होती है।
यह कर्मचारी द्वारा अर्जित है और उस पर टैक्स की छूट और कटौती की जानकारी देता है। form16 में किसी भी कर्मचारी को इनकम से होने वाले सारे लाभ को दर्शाया जाता है
जैसे उसकी वेतन, उसका allowance, उसकी बोनस आदि चीजों को पूरी तरीके से दर्शाया जाता है। जिसके बेसिस पर ही इनकम टैक्स का रिटर्न फाइल किया जाता है और टीडीएस काटा जाता है।
(2) आय पर टैक्स छूट
आयकर अधिनियम 1961 के भाग 10 के अनुसार कर्मचारी को कन्वेंस हाउसिंग रेंट, एचआरए, बच्चों की शिक्षा, और हॉस्टल का खर्च, मेडिकल खर्च, हाउस रिपेरिंग भत्ते आदि के भत्ते की भी की जानकारी फॉर्म 16 के भाग बी में भरना होता है।
कंपनी से मिलने वाले किसी भी प्रकार के भत्ते आपको इनकम टैक्स अधिनियम के अंतर्गत छूट होते हैं और कर्मचारी की टोटल इनकम से उनके खर्चे को घटाकर जो टैक्स आता है। उस पर कर्मचारी को इनकम टैक्स के अधिनियम के अंतर्गत टैक्स देना पड़ता है।
(3) कुल आय
कंपनी के कर्मचारी को कंपनी से प्राप्त की गई वेतन और कर्मचारी द्वारा अन्य किसी आय द्वारा अर्जित किया गया धन जैसे घर, संपत्ति, जमीन जायदाद, आदि से अर्जित किए गए आय की जानकारी भी कंपनी के निवेश प्रमाण में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है। जिससे कि कंपनी को form16 बनाते वक्त आसानी हो।
(4) वेतन से टैक्स माफ़
इनकम टैक्स की धारा 80C, 80CCC तथा 80CCD में कर्मचारियों को अपने किए गए निवेश के बदले में अधिकतम ₹150000 तक का टैक्स माफ किया जाता है। इसके अंतर्गत एल आई सी. जीवन बीमा। इंश्योरेंस, म्यूच्यूअल फण्ड आदि। चीजों में 150000 रुपए तक का टैक्स छूट मिलता है।
इसकी जानकारी भी हम फॉर्म 16 के भाग B में दी जाती है। इनकम टैक्स की अन्य धाराएं जैसे 80D में मेडिकल खर्च या मेडिकल बीमा में किया गया प्रीमियम या 80E में शिक्षा लोन पर ब्याज भुगतान या विकलांगता के लिए कटौती और अन्य लागू वर्ग के तहत टैक्स माफ की जाती है।
इन सभी की जानकारी कर्मचारियों के द्वारा आवश्यक दस्तावेजों के साथ कंपनी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिससे कंपनी को फॉर्म 16 को बनाने में आसानी हो।
फॉर्म 16 के प्रकार
form16 के अलावा form16 के दो अन्य प्रकार होते हैं। जिसका नाम फॉर्म 16A और फॉर्म 16B है। इसमें भी किसी कर्मचारी के आय तथा अन्य आय और व्यय allowance और बोनस संबंधी जानकारी दी जाती है।
(1) फॉर्म 16A
टीडीएस प्रमाण पत्र है जो किसी कर्मचारी की वेतन के संबंध में कंपनी द्वारा की गई टीडीएस की कटौती को दर्शाता है। वेतन के अलावा अन्य आय पर लागू टीडीएस प्रमाण पत्र है। उदाहरण के लिए जब आपका बैंक फिक्स डिपाजिट से प्राप्त आप की ब्याज आय पर टीडीएस कटेगा तो आपको फॉर्म 16 A दिया जाएगा।
इस तरह से किराया की रसीद पर टीडीएस, बीमा कमीशन पर टीडीएस या ऐसे ही किसी अन्य आय पर जहां टीडीएस की कटौती की गई है। आपको फॉर्म 16 A दिया जाएगा उस पर काटा गया और जमा किए गए टीडीएस की जानकारी होती है।
(2) फॉर्म 16B
फॉर्म 16B में संपत्ति की बिक्री पर काटे गए टीडीएस का प्रमाण पत्र होता है। यह टीडीएस यह दर्शाता है कि खरीदार द्वारा संपत्ति पर काटी गई टीडीएस की राशि आयकर विभाग में जमा कर दी गई है। जब कोई खरीदार किसी व्यक्ति से प्रॉपर्टी खरीदता है।
तो उसे राशि देने से पहले एक परसेंट टीडीएस काट लेता है। खरीदार को बाद में यह राशि आयकर विभाग में जमा करके फॉर्म 16b देना होता है। फॉर्म 16b एक प्रमाण पत्र है कि संपत्ति की बिक्री पर एक परसेंट टीडीएस काटकर सरकार के पास जमा कर दिया गया है।
फॉर्म 16 के लिए योग्यता
यदि कोई कर्मचारी जिसकी सलाना का वेतन 500000 के ऊपर होता है तो कम्पनी को उसे form16 जारी करना बहुत ही जरूरी है। यदि कोई ऐसा कर्मचारी जिसका सालाना का वेतन 500000 से कम है तो उसे form16 लेना कोई जरूरी नहीं है। और यदि वह चाहे तो फिर भी form16 ले सकता है क्योंकि यह एक जरूरी दस्तावेज के रूप में भी काम में आता है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों हमने आपको form16 से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी दे दी है। दोस्तों यदि आपकी भी इनकम 500000 से ऊपर है तो आप भी form16 जरूर ले और इनकम टैक्स का रिटर्न भरे। इनकम टैक्स भरने के बहुत सारे फायदे होते हैं।
दोस्तों इसलिए मेरा सुझाव यह है कि आप इनकम टैक्स जरूर भरे और देश की तरक्की में अपना योगदान दें। तो दोस्तों यदि आपको हमारा यह टॉपिक फॉर्म16 अच्छा लगा हो तो लाइक, शेयर, कमेंट जरूर करें और हमारे आगे की नई टॉपिक को पढ़ने के लिए हमारे साथ आगे भी बने रहिए धन्यवाद।
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