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भगवान और देवी -देवता में अंतर - भगवतगीता

भगवान और देवी -देवता में अंतर - भगवतगीता


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम आध्यात्म के ऊपर बात करेंगे और जानेंगे कि क्या देवी -देवता और भगवान दोनों अलग है और यदि अलग हैं तो कैसे ? भगवतगीता में इसके विषय में क्या कहा गया है। आज हम जो भी बात आपको बताने जा रहे है वो भगवतगीता के आधार पर बताएँगे और कोई अंधश्रद्धा की बात नहीं बताएँगे। जो भी बात हम करेंगे वह proof और प्रमाण के साथ करेंगे। इसलिए आप इसे जरूर अंत तक पढ़े।

bhagwan aur devi devta me antar
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भगवान और देवी -देवता में अंतर - भगवतगीता 9/25 श्लोक। 

यान्ति देवव्रता देवान्पितृन्यान्ति पितृव्रताः। 
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजीनोपि माम।।

अर्थ :- देवताओं के भक्त देवताओं को पाते हैं , पितृभक्त पितरों ( माँ -बाप ) को पाते हैं , भूतों के पुजारी भूतों को पाते हैं और मेरे में तन -मन -धन यजन करने वाला मेरे को ही पाते हैं।

विस्तार में :- जो देवी -देवताओं की पूजा कर रहे हैं -वह देवी देवताओं को पाएंगे यानि वे देवी -देवताओं के प्रजा -साहूकार बनेंगे। या कहें उन्हें देवी -देवताओं से प्राप्ति होगी। वे देवी देवताओं से ज्ञान ,सुख -शांति का वर्षा पाएंगे।

और  जो अपने माँ-बाप को अधिक मानते है तो आज के समय में भी देखा जाता है कि उनको माँ -बाप बोहोत प्यार करते हैं और उन्हें अपनी कमाई हुई धन -दौलत सौंप देते हैं।

और भूतों के जो पूजने वाले हैं , प्रेत आत्माओं को , उनके नाम पर बलि आदि चढ़ाते हैं।  तो वे उन्ही प्रेत आत्माओं के वर्षे को पाएंगे , जैसे - भूत प्रेत की शक्ति , इनमे पांचो विकार - काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह ,अहंकार अधिक रहेगा।  और ऐसे लोग दूसरों को अपने वस में करना चाहेंगे।

और जो मेरे में यानि भगवान में अपना तन -मन -धन  लगाता है तो वह उस ईश्वर के भाव को पाते हैं।
जैसे - भगवान में जो शक्तियाँ है , तो वह उन शक्तियों को पाता है।
ईश्वर का यदि हम संधि करे तो होता है - ईस =शासन करने वाला , वर = श्रेष्ठ
यानि जो श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ शासन करने वाला है। सभी को एक भाव आत्मभाव से देखने वाला।

तो जो ईश्वर में अपना तन -मन -धन लगाते है तो वे दुनिया का श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ शासन कर्ता बनते हैं।
जैसे -लक्ष्मी और नारायण।



भगवान और देवी -देवता में अंतर है। 

इस श्लोक से यह proof हो जाता है कि भगवान अलग है और देवी -देवता अलग है।
जो देवी -देवता को पूजेंगे वह देवी -देवता से प्राप्ति करेंगे और जो भगवान को पूजेंगे वह भगवान से प्राप्ति करेंगे।

भगवतगीता में कई और श्लोक भी हैं वो इस बात को सिद्ध करती है।

7 /23  श्लोक :- अंतवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम। 
                      देवान्देवयजो यन्ति मद्भक्ता यन्ति मामपि।। 

अर्थ :- उन अल्पबुद्धि वाले , बेसमझ लोगों का तो वह फल विनाशी होता है ; देवों के प्रति त्याग करने वाले देवताओं को पाते हैं , मुझे भजने वाले मेरे (भगवान ) को ही पाते हैं।

निष्कर्ष - भगवान और देवी -देवता में अंतर।

तो इन श्लोकों से हमें यह पता चल गया है , कि भगवान अलग है और देवी -देवतायें अलग होते हैं।
गीता में और भी ऐसे श्लोक हैं जो इन बातों को सिद्ध करती है।

यदि आप गीता के श्लोकों से इस बात को नहीं मानना चाहते , तो आप अपने धर्म के ग्रंथों से समझ सकते है।
जितने भी धर्मपिता इस सृष्टि में आये , चाहे वह गुरुनानक हो , ईसामसीह हो , मोहम्मद हो , इब्राहिम हो इत्यादि।
तो उन्होंने कभी अपने को भगवान नहीं कहा।  उन्होंने अपनी उंगली ऊपर करते हुए कहा कि ,मैं भगवान नहीं हूँ , मैं भगवान का messenger  सन्देश देने वाला हूँ।

तो अब वह भगवान कौन है ? उसको हम कैसे भजेंगे जिससे कि उनसे प्राप्ति कर सके।  उसके लिए आप हमारे website www.anekroop.com में हमेशा आते रहे।

तो दोस्तों यह थी जानकारी भगवान और देवी -देवता में अंतर की। मुझे उम्मीद है की आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
और इस post को अपने दोस्तों , रिस्तेदारों तक जरूर पहुंचाए , जिससे उन्हें भी सच्चाई का पता चले।

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धन्यवाद। 
Aatma Kya Hai-What is a Soul

Aatma Kya Hai-What is a Soul


Namaskar Doston aapka AnekRoop me swagat hai. Aaj hm baat karenge hamare bare me . Yani aatma ke bare me.

Aatma ke bare me to log hajaron salon se baat kar rahe hai aur janne ki kosish kar rahe hai, aur aaj hm  aatma ko samjhenge , isse mehsus karenge aur yah bhi janenge ki Bhagwat Geeta me aatma ke liye kya kaha gaya hai. Bhagwan Arjun ko aisa kya batate hai jo Arjun sabkuch bhulkar apna gandiv astra utha lete hai. Uske liye aage ka post dhyan purwak padhe doston.

aatma kya hai
aatma kya hai
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आत्मा से जुड़े 5 रहस्य । 

Hm suruwat karenge 2/18 shlok se .

Iss shlok ka arth hai:- नित्य ,अविनाशी ,प्रत्यक्ष प्रमाण रहित शरीर धारण करता आत्मा के ये शरीर नाशवान कहे गए हैं , इसीलिए हे भारतवंशी !युद्ध कर।

Iss shloke me aatma ko nitya , avinashi , aur pratyaksh praman rahit bataya hai.
Yani aatma nitya hai, hamesha hai.
Aatma hamesha hai iska matlab hai ki wah janm aur maran ke chakra me aane wali hai. Aisa nahi ki aatma moksha ko prapt ho jaye aur janm - maran ke chakra me nahi aaye.
Nahi aisa nahi hai. Aatma to sadev nitya hai.


Avinashi- Yani jiska vinash naa ho sake. Yani aatma kabhi nahi marti, wahin aatma jo sharir dharan karti hai , wah vinash hota hai. Aatma avinashi hai.

Pratyaksh Praman Rahit- Yani aatma sharir me hai iska koi praman nahi de sakta , sabut nahi de sakta .

इस श्लोक में हमने एक रोचक बात जानी कि आत्मा को कभी मोक्ष नहीं मिलता , वह नित्य है। जबकि आज के साधु लोग समझते है कि आत्मा को मोक्ष मिलती है।  इसीलिए वे हिमालय के पर्वत में जाकर तप करते हैं। मुझे किसी से दुश्मनी नहीं लेकिन गीता के श्लोक तो यही कहते हैं।


2/19 Shlok ka arth hai

जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है और जो इसे मरा हुआ मानता है ,वे दोनों ही ठीक नहीं जानते। यह आत्मा न मरता है न मारा जाता है।

Iske arth ko aur samajhne ki kosish karte hai , yadi koi wyakti kisi ki hatya kar deta hai aur samajhta hai ki maine isse maar diya ab main chain se rahunga to wah galat samajhta hai, kyunki aatma kabhi nahi marti wah dobara janm legi aur aapse aapke bure karmo ka hisab chukta karegi.
Aur jo wyakti aatma ko mara hua manta hai wah bhi thik nahi janta . Jaise hamare pariwar me kisi ki mrityu ho jati hai to hm rone lagte hai, aansu bahane lagte hai . Lakin Bhagwan yaha keh rahe hai ki aatma kabhi nahi marti wah phir se dobara janm le legi. Wah to aapke sath sirf kuch samay ke liye hi thi.
Yah padhe:- Sokh karna kyu nahi chahiye

2/20 Shlok ka arth hai- Yah ab tak ka sabse mahatwapurn shloke hai.

यह आत्मा न कभी जन्मता है , न मरता है अथवा होकर फिर से नहीं होगा। अजन्मा ,नित्य ,सनातन ,पुरातन। यह शरीर नाश होने पर भी नहीं मारा जाता।

Iss shloke ko padhkar to maza aa gaya . Iss shloke ke pehle 2 line ek adbhut jankari de rahi hai. Ki aatma naa kabhi janmta hai ,naa marta hai .Yani aatma ko janm dene wala koi nahi hai.Aatma ko banane wala koi nahi hai.Yani aatma ka koi pita nahi hai. Koi mata nahi hai.

यानि यह बात बिलकुल गलत साबित हो गयी कि भगवन ने आत्माओं को बनाया। क्योंकि आत्मा तो कभी बनता ही नहीं है।
जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है , वैसे ही आत्मा पुराने शरीरों को छोड़कर दूसरे नए शरीरों को ग्रहण करता है।

Jaise:- Jab hamare kapde purane ho jate hai, tab hm unhe pehenna chor dete hai aur naye kapde kharidkar pehen lete hai, waise hi aatma bhi jab yah sharir purani ho jati hai yani budhapa aa jata hai,to aatma phir naya sharir le leta hai.

Lakin yaha ek majedaar baat samne aayi hai ki  Yahan bataya jaa raha hai ki jab sharir purana ho jata hai tab aatma usse chorkar naya sharir le leti hai .

Lakin aajkal log kam umra me hi mar jaa rahe hai, koi 10 saal , 20 saal me, 30 saal me , kabhi bhi koi mar jaa raha hai.

Yahan to sharir purana nahi ho raha to phir aatma sharir kyu chor rahi hai ? Kya aapke dimag me bhi ye baat aa rahi hai ki log kam umra me hi kyu mar jate hai?

Darahsal yahan par bhi sharir purana hi ho raha hai. Sochiye jab kisi ki maut hoti hai, tab kaise hoti hai, Jaise koi Cancer se mara . To jab usko Cancer hona chalu hua to uski sharir ki awastha kaisi honi chalu huyi, to  budhapa jaisa.

Yani uska sharir purane ke jaisa ho gaya , Issiliye aatma us sharir ko chor deti hai.

Ab aate hai apne antin 2 shlokon me .अदभुत

Ye bhi Jane:-

2/23 aur 2/24 Shloke.

इस आत्मा को शस्त्र नहीं काटते ,इसको अग्नि नहीं जलाती ,इसको पानी नहीं भिंगोता और हवा भी नहीं सूखती।

यह काटा नहीं जा सकता ,यह जलता नहीं ,भींगता नहीं और सूखता नहीं। यह नित्य सबकुछ पहुंचवाला है,सनातन ,स्थितशील और अचल है।



Inn dono shlokon ka saar yahi kehta hai ki aatma kisi bhi tarike se nahi marti.

Aur jo last ka line hai wah samajhne yogya hai ki aatma sab jagah pahunch wala hai. Iska matlab aatma me sochne ki shakti hai , Aisa nahi ki aatma sharir se nikalkar Delhi chali jaye aur phir sharir me wapas aa jaye. Nahi, wah apni soch se sab jagah jaa sakti hai , sab jagah pahunch sakti hai.



To ye thi aatma ke wishay me kuch mahatwapurn jankari. Aur me ummid karta hoon ki aapko yah jankari jaroor pasand aayi hogi.Yadi aapka koi sawal yaa koi sujhaw hai to hame niche comment karke jaroor bataye. Aur hame E-mail ke dwara niche se jaroor subsscribe kar le doston.

Dhanyawad.

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Mrityu Ke Baad Aatma Kaha Jati Hai- Life After Death

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Namaskar doston aapka AnekRoop me swagat hai. Aaj hm baat karenge ki mrityu ke baad aatma kahan jati hai ? Kya karti hai ?

Srimad Bhagwad Geeta me wah sari jankari hai jo aaj logon ko jarurat hai. Maine apne pichle post me aatma ke rahasyon ke bare me bataya tha. Aur aaj iss post me hm baat karenge ki aatma mrityu ke baad kahan jati hai.

Uske liye aap iss post ko aanta tak padhe.मृत्यु के बाद आत्मा कहाँ जाती है ?

mrityu
mrityu





Manushya ko ek na ek din marna hai ,yah baat to satya hai.Lakin uski mrityu kaise hoti hai yah baat gaur karne ki hai.

Jaise kisi ki mrityu accident se hoti hai, kisi ki cancer se hoti hai aur koi budhapa hone par mrityu ko prapt hota hai.

To yahan par 2 case hai.

1. Jo apne samay se pehle hi mar jata hai.
2. Jo apni puri zindagi ji kar wriddha awastha me marte hai.

To hm baat karte hai pehle case ki .Yani
Jiski Mrityu samay se pehle hoti hai.

Jab log kam umra me marte hai, Jawani me marte hai tab unki aatma sharir chorne ke baad bhatakti hai.

Haan doston, yah baat satya hai. Aisa isliye hota hai kyonki unko jo samay diya gaya tha, jine ke liye ,to wah apna jeevan pura nahi ji pata aur kisi karan wash sharir chor deta hai.

Isse akale mrityu kaha jata hai. Yani jiski mrityu kaal ke wiparit huyi yaa samay ke wiparit huyi.

To jiski akaale mrityu hoti hai- to uski aatma bhatakti hai aur apna pura samay hone tak bhatakti hai. Aur jab unka pura samay ho jata hai, tab unko naya janm mil jata hai.

Ab jo me batane jaa raha hoon wah aur bhi dilchasp lagegi janne me.
Ki Akaale mrityu bhi 2 prakar ke hote hai.

i). Jisne khudkhusi ki aur swayam se mrityu ko prapt hua ho.
ii). Jiski mrityu kam umra me to huyi lakin khudkhusi se nahi mara.

To chaliye hm pehle jankari ki taraf badhte hai ki
Khudkhusi Karne Par Aatma Ka Kya Parinam Hota Hai?

To jo khudkhusi karte hai, wah bohot bada paap karte hai. Halanki khudkhusi karne ke piche koi na koi karan hota hai. Lakin wah khudkhusi karke prakriti ke niyam ko todta hai.Kaal ke niyam ko todta hai.Issiliye usse utna hi bada saja milta hai.

Khudkhusi karne wali aatma tadapti hai,usse dusra janm aasani se nahi milta ,usse shuksham sharir milta hai,jisse wah dusron par prawesh bhi kar sakti hai aur dusron ko apna rona ro kar batati hai.

Aisa kayi baar dekha gaya hai ki jo khudkhusi karte hai wah dusre shariron ka aadhar lete hai aur apna haal sunate hai.

Shuksham sharir ka matlab hai, ki unko sharir to milta hai lakin wah uss sharir se kuch kar nahi sakte .
Unhe khane ki ikcha to hoti hai,par wah kha nahi sakte . Sukh bhogne ki ikcha to hoti hai ,lakin we  sukh bhog nahi sakte.

Aur tab aisi aatmaye apni ikcha mitane ke liye dusre shariron me prawesh karti hai aur kehti hai- Main kali hoon ,main durga hoon. ityadi devi -devtaon ke naam leti hai aur aapse bali aadi chadhane ko kehti hai.

Yani aisi aatmaye aur bhi paapi ban jati hai. Aur bohot log aisi aatmaon ke chakkar me aa jate hai, aur usse pujna suru kar dete hain.

To main aapse namra nivedan ke sath kehta hoon, ki aap aise devi- devtaon ke chakkar me naa pade. Ye devi -devtayen nahi balki aisi aatmaye hain jo aakale mrityu ko payi hai aur apni ikcha purti karne ke liye aapse aisa kehti hai.

*Lakshya Ko Pura Karne Ka Aasan Tarika

*Generation Gap-Wicharon Me Bhari Antar

Ab baat karte hai.
ii) Jiski mrityu kam umra me huyi lakin swayam se sharir nahi chora.

Jaise koi cancer se mara , dusre bimari se mara, accident se mara ityadi.

To aisi mrityu ko kaal ka bulawa kaha jaa sakta hai. Aise mrityu ko unke papon ka phal bhi kaha jaa sakta hai.

Lakin phir bhi apna pura samay pura nahi jine par aakale mrityu hi kaha jata hai.

Aur aisi mrityu hone par aatmaon ko sharir chorne ke baad taklif to nahi hoti lakin unhe intejaar karna padta hai aur unka samay pura hone par unko naya sharir mil jata hai.

Jane :- Aatma Ko Sharir Lena Hi Padta Hai

Aisi aatmaye sirf kuch samay ke liye hi bhatakti hai aur phir unhe naya sharir mil jata hai.
Yah samay utna hi hota hai jitna samay ek stri ko garv taiyar karne me lagte hai.

Yani jo accident ityadi se marte hai tab unka garv taiyar nahi hua rehta hai aur wah tab tak bhatakta hai jab tak uska garv naa taiyar ho jaye.


2. Ab baat karte hai apne last topic ke upar.ki
Jo apne puri jindagi jikar wriddha awastha me marte hai.

To jiski mrityu wriddha awastha me hoti hai to wah sabse achi mrityu mani jati hai.
Aisa isliye ki unhone apna pura zindagi jiya aur apne samay aane par mara yani mrityu ko prapt hua.
Usne prakriti ke niyamo ko nahi toda aur naa hi kaal ke niyamo ko toda.

Aisi mrityu hone par aatma ko agla janm turant mil jata hai. Usse 1 second bhi nahi lagte aur unka agla janm ho jata hai.

Kyunki unka garv pehle se taiyar hota hai aur mrityu ke baad aatma turant  garv me prawesh kar jati hai.
Issiliye jab koi wriddha sharir to tyagta hai to log khushi bhi manate hai, aur kahin -kahin patakhe bhi jalate hai.

To ye thi jankari ki mrityu ke baad aatma kahan jati hai aur aatma ka kya parinam hota hai.

To mujhe ummid hai ki aapko yah jankari jaroor pasand aayi hogi.
Yadi aapka koi sawal ya koi sujhaw hai to hame niche commen karke jaroor bataye.
Aur hamare iss website ko niche se E-mail ke dwara free me subscribe kar le doston .

 Dhanyawad.



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Indriyon Ko Control Kare-काम ,दृस्टि,भोजन कण्ट्रोल करे

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Namaskar doston aapka www.anekroop.com me swagat hai. Aaj hm baat karenge ki apne indriyon ko hm kaise control kar sakte hai.

Iss post ko aant tak padhe aur aap sari jankari jan jayenge jo bhagwat gita me indriyon ko wash me karne ke liye bataya gaya hai.

2/14- मात्रास्पर्शाः तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदा। 
आगमपायिनः अनित्याः तान तितिक्षस्व भारत।।

अर्थ :- है कुंती माता के पुत्र ! इन्द्रियों के विषय तो सर्दी -गर्मी ,सुख -दुःख  देने वाले हैं ,आने और जाने वाले हैं ,और नित्य नहीं रहते हैं। है भारतवंशी अर्जुन ,उनको तु सहन कर।

indriyon ko control kare
indriyon ko control kare
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इन्द्रियों को कैसे कंट्रोल करे ?काम विकार ,दृस्टि ,भोजन कण्ट्रोल करे 

Ab chaliye iss shloke ko wistar se samajhte hai. Yahan par Bhagwan Arjun se keh rahe hai ki hai Arjun tu apne indriyon ko sahan kar.

Aapko pata hoga ki SrimadBhagwat Geeta Bhagwan ne sirf Arjun ke liye nahi sunayi , Yah gyan to sare manawjati ke kalyan ke liye sunayi gayi. Issiliye Geeta ke shlokon ka arth aaj bhi aapke liye lagu hoti hai. Issiliye aap isse dhyan se padhiyega.

Yahan par Bhagwan bata rahe hai , yadi aap apni lakshya ki prapti karna chahte hai. jeevan me kuch banna chahte hai, to indriyon ke wisay ko sahan kar.

काम वासना 

Yah indriyon ke wisay jaise Kaam Wasna , Jo aapka sabse bada shatru hai. Kaam ke liye kaha jata hai, Kaam jite jagatjeet . Yani jisne kaam ko jeet liya , to wah saari duniya ko jeet sakta hai. To phir aapka lakshya kya bada chij hai.

दृस्टि

Phir uske baad aata hai Dristi. Dristi dushre number ka aapka sabse bada shatru hai. Dristi ke liye kaha jata hai, jaisi dristi waisi shristi. Yani yadi aapka niyantran aapke dristi ke upar nahi hai, aapke aankhon ke upar nahi hai, to aapki shristi yani aapki zindagi ka bhi aapke upar koi niyantran nahi hoga.

Jab bhi aap koi lubhane wali wastu dekhenge, to aap uski taraf khinche chale jayenge.
Issiliye aankhon ko niyantran karna bohot jaroori hai.

भोजन
Aur tisri chij hai , jisse aapko niyantran karna hai, wah hai - Jihwa yani swaad.
Yadi aap bhojan ke shokin hai, adhik bhojan karna pasand karte hai, to maaf kijiye aap apne jeevan ko sundar aur kamiyab kabhi nahi bana payenge.

Kyunki bhojan ke liye kaha jata hai- Jo bhogi hoga wah rogi hoga. Yadi aap swad ke liye jaroorat se jyada bhojan karte hai to aapka sharir bimar aur aswastha jaroor hoga. Jaisa ki aaj ke logon ko dekha jata hai ki kam umar me hi sabke tond nikal aate hai aur phir unhe tarah -tarah ke rogon ka samna karna padta hai.


* To yah thi mujkhya tin chijen - Kaam Vikar, Dristi aur Jihwa.  Jiske bare me hamne jana.
Aur ab hm janenge ki inn 3 chijon ko niyantran kaise kare, control kaise kaise kare.

To Bhagwan Arjun se kehte hai ki indriyon ke wisay to sukh -dukh dene wale hai.
Yani iska matlab hai - Hame apni buddhi me bithana hoga ki jo indriyan hai yah satya nahi hai, sundar stri , acha bhojan dekhte hi uttejit ho jati hai, aur bhogne ko kehti hai.

Jabki yah to mere raaste ka kanta hai , jo mujhe apni lakshya ki aur badhne nahi deti hai. Yah to alpkaal ka sukh dekar sadakaal ka dukh de rahi hai. Yah satya nahi hai, Yah to jhoot hai. Yah to mere sath dhoka kar rahi hai.

Aur buddhi ko yah bhi samajhna hoga ki indriyon ke wisay to nitya , Yani hamesha nahi rehte , aane aur jane wale hai.

Yani jo chij aake turant chali jati hai,usko aap mahatwa kyu dete hai.
Jaise :- Swad ke liye bhojan khaya kuch second uska swad jibh me raha phir wah bhojan pet me chala gaya aur phir aapko lambe samay tak bimar bana diya.

Bhagwan yaha kehna chah rahe hai - Ki jo nitya hai , sadakaal ka sukh dene wala hai usko hame apne jeevan ka aadhar banana chahiye.



Jaise- 2 tarah ke mitra hote hai.
1) Matlab ka mitra hota hai.
2) Saccha mitra hota hai.

Matlab ka mitra , apni jaroorat puri karne ke baad aapko chor deta hai.

Wahin jo saccha mitra hota hai, wah aapko sadev sahayata karta hai. Aapke sukh-dukh me wah sadev aapke sath rehta hai. Aapke sath khada rehta hai.

Aise hi jo indriyon ka sukh hai wah dhokebaaj mitra hai, aapko dhokha de rahi hai.

Wahin jo kamiyabi ka sukh hai wah aapka saccha mitra hai kyunki wah sadakaal aapke sath  juda hua hai.

To mujhe pakka bharosa hai ki aap apne sath sada ache mitra ko hi rakhenge aur jeevan me kamiyab banenge .
Aur issi ke sath me apne sabdon ko wiram deta hoon. Aur ummid karta hoon ki aapko yah jankari jaroor pasand aayi hogi.

Yadi aapka koi sawal ya koi sujhaw hai to niche jaroor comment kare. Mujhe aapki madad karne me khushi hogi.

Aur iss post ko jaroor share kare taki aur logon ko bhi iske bare me maloom ho.
Aur aap hamare website www.anekroop.com ko E-mail ke dwara niche se subscribe kar sakte hai.
Isse me jab bhi nayi post likhunga to aapko jankari ho jayegi.

Aap niche se iss jankari ki video bhi dekh sakte hai jo aapko aur adhik prerit karegi.



Dhanyawad.....

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Bhagwan Kaha Rehte Hai-Bhagwan Ka Ghar Kaha Hai

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bhagwan ka ghar
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8 /21 -अव्यक्तः अक्षरः इति उक्तः तम आहुः परमाम गतिम्।
यम प्राप्य न निवर्तन्ते तत धाम परमम् मम। ।

इस श्लोक में भगवन यह बता रहे हैं कि मैं जहाँ रहता हूँ  उसको लोग ब्रह्मलोक के नाम से जानते हैं। जहाँ पर पहुँच कर आत्मा इस दुखी संसार में नहीं लौटती। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वहां जाने के बाद आत्मा जन्म नहीं लेगी।

वह जन्म तो लेगी लेकिन दुःख के संसार में नहीं सुख के संसार सतयुग में जन्म लेगी।
और यह ब्रह्मलोक मेरा घर परमधाम है।

15 /6 - न तत भासयते सूर्य न शशांक न पावकः।
यत गत्वा न निवर्तन्ते तत धाम परमम् मम।।

यहाँ पर भगवन बता रहे हैं कि जहाँ पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता ,चन्द्रमा की रोशिनी नहीं पहुँचती और ना ही अग्नि का प्रकाश है। जिसको जाकर वापस इस दुखी संसार में नहीं आते ,वह मेरा परमधाम है।


* इन दोनों श्लोकों में भगवन ने अपना घर परमधाम बताया है।
जिसे अंग्रेज Soul World और मुसलमान अर्ष कहते हैं।



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Paap Kya Hai- Punya Kya Hai- Paap Aur Punya Me Antar

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पाप क्या है ?

जैसा की मैंने अपने पिछले पोस्ट में बताया था कि बुद्धि को कैसे बढ़ाये  और आज मैं आपको बताऊंगा कि पाप और पुण्य क्या है और इनमे क्या अंतर है।

पाप की परिभाषा है ऐसा काम करना जिससे लोगों को और स्वयं को भी दुःख होता हो।

* पाप कितने प्रकार से किया जा सकता है ?
 तो पाप 3 प्रकार से किया जा सकता है।
1 . मन से ,2. वचन से ,3. कर्म से।

paap punya
paap punya




1 :- मन से पाप करना :- मन से जो लोग पाप करते हैं ,तो यह पाप सबसे बड़ी पाप मानी जाती है। लोग जो मन से दूसरों को  बद्दुआ देते हैं :- जैसे तुम्हारा सत्यानाश हो ,तुम बर्बाद हो जाव इत्यादि।

तो जो व्यक्ति इस तरह का भाव अपने अंदर रखता है ,वह दुनिया का सबसे बड़ा पापी है। आप सोच रहे होंगे
कैसे :- तो जो लोग दूसरों के प्रति ऐसी विचार रखते हैं ,तो उनका चरित्र भी वैसा ही बन जाता है। ऐसे लोग अंदर ही अंदर जलते हैं ,और एक ना एक दिन उनको अपने पाप का फल मिल जाता है।

*ये भी जाने :-दूसरों को खुश कैसे करे  ?

2 :- वचन से पाप करना :- इसका अर्थ है ,किसी को अपने बोली के द्वारा दुःख देना। जैसे किसी को गाली दे दिया ,झूठ बोल दिया ,मज़ाक उड़ाना ,बेइज्जत करना इत्यादि।

3 ;- कर्म से पाप करना :- इसका अर्थ है ,ऐसे -ऐसे काम करना जिससे लोगों को हानि होती हो ,दुःख पहुँचता हो। जैसे किसी की हत्या कर देना ,चोरी करना ,लूटमार करना ,बलात्कार करना इत्यादि।


* और जब आप इन तीनो पापों को गौर से समझेंगे तो एक बात आपको और पता चलेगी कि ये 3 पाप आपस में जुड़े हुए हैं।
जैसे :- पहले लोग मन से पाप को जन्म देते हैं ,जिसके प्रति वह पाप करना चाहता है उसके प्रति ख़राब सोचते  है। फिर बोली से उसे बुरा -भला कहते  है और अंत में वह कर्मो के द्वारा पाप कर्म कर ही देता है।

इसीलिए मैंने कहा था ,सबसे बड़ा पाप है ,मन का पाप क्योंकि मन से ही पापों का जन्म होता है। 
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पुण्य क्या है ?
ऐसा कर्म जिससे लोगों को सुख मिलता हो और आपको भी  सुख मिलता हो ,तो वह कर्म पुण्य कर्म है।

* जैसे पाप 3 प्रकार के हैं वैसे पुण्य भी तीन प्रकार के होते हैं। मन ,वचन और कर्म।

1. मन से पुण्य करना :-  दूसरों को दुआ देना , और दूसरों से दुआ लेना यह है मन का पुण्य। यानि मन से सभी के प्रति दुआ ही निकले। जैसे -सबका कल्याण हो ,दुसमन को भी दुआ देना ,इत्यादि।

2. वचन से पुण्य करना :- सबके प्रति एक जैसी बोली बोलना। ना बोली में कठोरता हो और ना तेज़। कम बोलना ,धीरे बोलना ,मीठा बोलना यह पुण्य कर्म करने वालों की निशानी है। क्योंकि बोली दुनिया का सबसे बड़ा हथियार है ,आप इस हथियार से किसी को भी जीत सकते हैं।



3. कर्म से पुण्य करना :- पुण्य कर्म करने वाला व्यक्ति हमेशा सच्चा ही बोलेगा ,और ईमानदारी से अपना कार्य करेगा। उसके लिए पैसा नहीं ईमान बड़ा होगा। वह जो भी कार्य करेगा ,उससे लोगों की भलाई जरूर होगी।

* कोई भी तरह का पुण्य कर्म हो ,मन से ,वचन से ,या कर्म से। यदि कोई एक भी पुण्य कर्म करता है तो उसमे तीनो की शक्ति आ जाती है। क्यूंकि तीनो आपस में जुड़े हुए हैं।

पाप और पुण्य में अंतर 

पाप और पुण्य में बोहोत बड़ा अंतर है ,पाप पश्चिम है तो पुण्य पूरब ,पाप आकाश है तो पुण्य पृथ्वी।

पाप लोगों को ख़राब करती है ,जिससे दुनिया भी ख़राब बनती है।
वहीँ पुण्य लोगों को अच्छा बनाती है ,जिससे दुनिया भी अच्छी रहती है और प्रकृति भी।

* आज 90 % लोग पाप कर रहे हैं। सभी लोग भ्रस्ट हो गए हैं। चाहे पुलिस हो या जज हो ,सब पैसे के आगे सर झुकाये हुए हैं। लोगों ने अपने को मार दिया है, और मरे -मरे जी रहे हैं। ये भी कोई जीना है। जिधर देखो उधर बुराई की परछाई दिखाई देती है। दिन में भी रात लगती है।

पाप और पुण्य यह आधार है लोगों के जीने के कोई पाप पसंद करता है तो कोई पुण्य , कोई पाप का साथ देता है तो कोई पुण्य का।

पाप के प्रकार 

यूँ तो पाप के कई प्रकार है , जैसा की मैंने बताया की मुख्या 3 प्रकार के पाप गाये जाते है, जो है मन ,वचन ,और कर्म।
और इन्ही तीनो के आधार पर लोग पाप करते है और उनका सजा बाद में भोगते है।

पाप की सजा 

तो पाप के कई प्रकार है लेकिन जो सबसे ख़राब पाप है उसका नाम है जिव हत्या।
जिसके लिए कहा गया है -जिव हत्या महा पाप है। सब पापों में भी जिव हत्या सबसे बड़ा पाप है।
और इस पाप की सजा भी सबसे खतरनाक बताई गयी है , कि जैसे किसी जीभ को मारने पर उसको जितनी तकलीफ होती है वही तकलीफ वह प्राणी महसूस करता है जिसने उस जीभ को मारा है।

लेकिन वह उस पाप का फल कब भोगता है इसकी कोई तिथि और तारिक नहीं बताया गया है, जब भी वह पाप का फल भोगेगा तब उसे एहसास हो जायेगा , कि आज मुझे जो दुःख   हो रहा है वह मेरे ही पुराने पापों का परिणाम है।

यानि आप जैसे पाप करेंगे तो आपको वैसे ही सजा मिलेगा।

पाप की सजा कौन देता है ?

ऐसा लोग मानते है कि पाप की सजा भगवन देते है लेकिन भगवन यह बताते है कि ना मैं किसी को पाप देता हूँ और ना ही किसी को पुण्य देता हूँ (भगवत गीता ) जो जैसा कर्म करेगा उसको वैसा ही फल स्वयं मिलता है।

जैसे ये प्रकृति स्वयं चलती है , आप जैसा प्रकृति को करेंगे तो प्रकृति भी आपको वैसा ही देगी। उसी तरह पाप और पुण्य भी है ,आप जैसा करेंगे उसके अनुसार ही आपके पाप और पुण्य बनेंगे।


सच कहा था रामचंद्र जी ने :-
* रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा। हंस चुभेगा दाना तिनका ,कौवा मोती खायेगा। 
यानि जो अच्छे लोग हैं ,उनको दाना नसीब होगी ,और जो कौवे जैसे लोग हैं ,वह मोती खाएंगे ,यानि धन -दौलत उनके पास होगी ,कौवे की तरह काले  कमाई की।


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buddhi badhaye
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जानवर और मनुष्य में एक ही अंतर है ,मनुष्य को मन बुद्धि है ,वहीँ जानवर को  बुद्धि नहीं है। यदि आपकी बुद्धि भी कमज़ोर है ,तो आप भी जानवर के समान हैं। यह बात सुनने में थोड़ा कड़वा लग सकता है ,लेकिन यही सच्चाई है।



आज मैं आपको बताऊंगा कि  कैसे आप अपने बुद्धि को बढ़ा सकते हैं ? और जीरो से हीरो बन सकते हैं।
बुद्धि को बढ़ाने से पहले आपको यह जानना चाहिए कि
बुद्धि कैसे काम करती है ?

आप को तो पता ही होगा , कि मन हमेशा कुछ ना कुछ सोचता ही रहता है। और जब आप कुछ सोचते हैं तो उसकी तस्वीर बनती है।

तो जब आप एक ही चीज को अधिक बार सोचते हैं ,तो बुद्धि उसको अपने अंदर स्टोर कर लेती है। और फिर जरूरत पड़ने पर आपको याद दिलाती है।


बुद्धि का क्या काम है ?

बुद्धि का काम है निर्णय करना।
 उदाहरण  :- डॉक्टर ,मरीज को बोलता है कि आप खट्टा मत खाइयेगा नहीं तो बीमार हो जाइएगा।
लेकिन जब मरीज घर जाकर पानी पूड़ी देखता है ,तो उसके मुँह में पानी आ जाती है , फिर उसे खाने की दिल होती है।

तो बुद्धि का काम अब यहाँ से शुरू होता है। कि वह क्या निर्णय लेगा ?डॉक्टर की बात मानेगा या अपनी मन की इच्छा पूरी करेगा ?

तो यहाँ पर जिसकी बुद्धि मजबूत होगी ,तेज़ होगी तो वह पानी पूड़ी नहीं खायेगा और बीमार होने से बच जायेगा , वहीँ जिसकी बुद्धि कमजोर होगी वह अपने आपको नियंत्रण नहीं कर पायेगा और पानी पूड़ी खा लेगा।

तो बुद्धि निर्णय करती है -क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

* तो जिसकी बुद्धि अच्छी होगी वह अपने जीवन में हमेशा अच्छा ही फैसला लेगा और कामियाबी हासिल करेगा और जिसकी बुद्धि कमजोर होगी वह सही निर्णय नहीं ले पायेगा और कामयाब नहीं बन पायेगा।



बुद्धि कैसे बढ़ाये ? दिमाग तेज करे 

बुद्धि बढ़ाने के कई तरीके हैं ,जिनमे से कुछ मैं  आपको अपने अनुभव के आधार पर  बताता हूँ।यदि आप चाहते है कि आपका दिमाग तेज हो जाये और आप एक पावरफुल इंसान बन जाये तो आगे के पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़े और समझे दोस्तों।

1 . निरंतर अभ्यास :- 
आप कोई भी कार्य करते हो ,उसको सिख करके छोड़ मत दीजिये ,उसको हमेशा अभ्यास करते रहिये।
आप यदि विद्यार्थी हैं :- तो पढ़ाई करके उसे छोड़िये मत ,उसका revision ,अभ्यास हमेशा करते रहिये।

एक सर्वे के अनुसार :-
जब हम किसी चीज को पढ़ते हैं ,या सीखते हैं और उसे 24 घंटे के अंदर दोबारा पढ़ लेते हैं ,तो वह चीज हमें अगले  1 सप्ताह तक याद रहती है।

और यदि 1 सप्ताह में फिर आप 1 बार ओर  पढ़ लिया तो वह चीज अगले 1 महीने तक याद रहती है।
इसी तरह पढ़ते -पढ़ते वह चीज आपको ज़िन्दगी भर याद रहेगी और बुद्धि उसको अपने अंदर स्टोर कर लेगी। फिर आप उस चीज को कभी नहीं भूलेंगे।

2. Meditation (ध्यान ):- 
यदि आप रोजाना ध्यान करेंगे ,तो मैं guarantee के साथ कह सकता हूँ कि आपकी बुद्धि कैसी भी हो ,वह पावरफुल जरूर बनेगी।

ध्यान आपके बुद्धि को एकाग्र कर देती है ,और जब आप किसी भी चीज को सीखते या पढ़ते है ,तो आपका मन नहीं भटकता और पढ़ने में रूचि बढ़ती है।

ध्यान से बुद्धि का विकाश होता है ,सोचने की क्षमता बढ़ती है और साथ ही साथ शरीर का भी विकाश होता है।

3 . संग - बुद्धिमान लोगों के साथ रहे :-

संग का रंग आपको जीरो से हीरो बना सकती है। आप जैसे के साथ संग करेंगे वैसे ही बनेंगे। यदि चोरों का संग करेंगे तो चोरों का गुण धारण करेंगे और चोर ही बनेंगे और यदि बुद्धिमानो का संग करेंगे तो बुद्धिमान बनेंगे।
इसीलिए आप अपना संग बुद्धिमान लोगों के साथ करे और उनसे बुद्धि सिखने का प्रयत्न करें।



4. पवित्रता (शरीर और मन बुद्धि से पवित्र रहे ):-

यदि आप पढ़ाई कर रहे हैं तो आप अपनी बुद्धि को गन्दी चीजों में ना लगाए। गन्दी चीजें जैसे - काम , अश्लील वृति आदि। गन्दी चीजों से बुद्धि ख़राब हो जाती है और पढ़ाई में फिर मन नहीं लगता। इससे  बुद्धि भारी -भारी लगती है ,बुद्धि को खिंचावट महसूस होती है। फिर बुद्धि अपनी याददास्त और  ज्ञान भूलने लगती  है।

इसीलिए पहले के राजा अपने साथ ब्राह्मण रखते थे सलाहकार के लिए , क्यूंकि ब्राह्मणो की बुद्धि पवित्र होती है और वे जल्दी कुछ भूलते नहीं।

5. भोजन :-
आप ऐसे भोजन का सेवन करे , जिससे आपके बुद्धि को फायदा होता हो ,जैसे :- बादाम ,शाकाहारी भोजन ,फल ,दूध इत्यादि।

भोजन के लिए कहा जाता है :- जैसा अन्न वैसा मन।
इसीलिए यदि आप अच्छा भोजन करेंगे तो आपका मन अच्छा होगा और यदि मन अच्छा होगा तो बुद्धि जरूर अच्छी बनेगी।

तो ये थी 5 चीजें जिसे आप अपने जीवन में धारण करेंगे तो जरूर आपकी बुद्धि पावरफुल बनेगी। और आप जीरो से हीरो बन जायेंगे। क्योंकि बुद्धिमानों को सारी दुनिया सलाम करती है।

*बुद्धि कैसे बढ़ाये उसके लिए आप निचे  का वीडियो भी देखकर जान सकते हैं।


 

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Dukh Kya Hai-Sukh Kya Hai

Dukh Kya Hai-Sukh Kya Hai


लोग तो यूँ कहते ही रहते है कि हम दुखी हैं , हमको दुःख है।  या हम सुखी है , हम सुख में है।
तो आज मैं आपको इन्ही 2 विषयों के बारे में बताऊंगा कि सुख और दुःख वास्तव में है क्या ?

dukh kya hai sukh kya hai
dukh kya hai sukh kya hai
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दुःख क्या है ?


दुःख की परिभाषा है :- जो जल्दी दूर नहीं होती है। दुःख को यदि हम विस्तार से समझे ,तो यह वह घडी है , समय है, जो जल्दी नहीं जाती है। यह समय आपको अपने अंदर समेटने लगती है , यानि जब आपको किसी कारन वश दुःख होता है तब आप उसी के बारे में सोचते रहते हैं। और उसी की सोच में , चिंता में ,आपका समय चला जाता है।
तो यदि आपको किसी बात की चिंता है तो दुख है और यदि चिंता नहीं ,तो दुःख भी नहीं है।
दुःख के बारे में और जानकारी के लिए यह पढ़े :-Dukh door Kaise Kare-Tarika aur Upay

दुःख क्या -क्या करता है ?

सबसे पहले तो ये आपके मनोबल को गिराता है ,यानि आपको अंदर से कमज़ोर बनाता है। यह आपको अंदर से तोड़ देता है। जब आपका  कोई काम सफल नहीं होता क्यूंकि कोई काम के  उपर आपका दिल नहीं लगता है।

दुःख से कैसे लड़े ?

ऐसी स्थिति में आप एक कहावत याद रखिये।
"मन के हारे -हार  और मन के जीते -जीत। "


जैसा की मैंने आपको बताया कि दुःख  आपके मनोबल को घटाता है , तो आप मन से दृढ संकल्पी हो जाइये , कि मुझे इसे दूर करना ही है ,और यह कहावत बार -बार याद कीजिये।  यह आपको अंदर से बल देगा ,आपको अंदर से शक्ति , ऊर्जा प्रदान करेगा।

बीती बातें दुःख देती है तो क्या करे ?
ऐसा काम जो आपको नहीं करना चाहिए था ,और जब वह पल याद आता है तो दुःख महसूस होता है।
हाँ ये बात बिलकुल सही है कि दुःख तो होता है। लेकिन अब हम क्या करे कि जो याद हमें दुःख दे रहा है वह सुख देने लगे।

यहाँ परेशानी छोटी सी है कि आपका mindset ,सोचने की शक्ति कैसी है। एक व्यक्ति हमेशा अच्छा सोचता है और एक व्यक्ति हमेशा ख़राब सोचता है।

एक व्यक्ति जब exam में fail होता है तो कहता है अच्छा अगली बार खूब मेहनत करूँगा , जी जान लगा दूंगा।  वह अपने नाकामियों से सीखता है और उसे कामियाब बना देता है।

वहीँ  दूसरे तरह का जो व्यक्ति है वह जब fail होता है तो उसी बात को लेकर के बेठ जाता है -कि अब पापा क्या करेंगे ,दोस्त क्या कहेंगे। और जब ऐसी बातें याद आती है तो फिर उनको दुःख होता है। और वह कुछ गलत भी कर देता  है।

 ऐसा नहीं की वो याद ही नहीं आएगा। वह तो याद आएगा ही उसे आप रोक नहीं सकते। लेकिन आप उसे सुधार सकते है।

यहाँ पर जरूरत है आपके सोच को एक नयी दिशा देने की। जब भी आपको दुःख देने वाली कोई बात याद आये-तो आप उस negative याद को positive याद में change कर दीजिये।

की मैंने कुछ सीखा है -यह मेरे साथ होना जरूरी था। मुझे जीवन को आगे तक जीने के लिए experience मिला है। क्यूंकि जब तक कोई हारता नहीं तबतक वह जीतता भी नहीं है। यही तो जीवन का नियम है। हार के ही तो सीखा जाता है। मैंने इस life के incident से सीखा है।

तो आप अपने अंदर ऐसी ही positive धारणाओं को लाइए और देखिये आपके जीवन में एक अद्भुत change आएगा। जो आपके जीवन को बिलकुल बदल कर रख देगा, कामियाबी की और ले जायेगा ।

सुख क्या है ?
सुख का हरेक चीज दुःख से विपरीत है। यानि जो जल्दी ही बीत जाती है। 
एक मशहूर कहावत है।,,,,,
समय तू जल्दी -जल्दी बीत।
दुःख में तू बिलकुल रूक जाये , सुख में जाये बीत।
ये कैसी तेरी रीत।
समय तू जल्दी -जल्दी बीत।



जिस व्यक्ति को किसी बात की चिंता नहीं तो वह व्यक्ति सुखी है। 

सुख क्या -क्या करता है ?
सुख आपको ऊर्जा प्रदान करता है ,जिससे आप ज्यादा सुख भोगते हैं। आपके अंदर कोई चिंता , फ़िक्र नहीं रहती है। आप बिलकुल मौज में रहते हैं। और फिर आपका समय कब गुजर जाता है आपको पता भी नहीं चलता  है।

* सुख और दुःख जीवन के दो पहलु हैं। इसीलिए इंसान को दुःख आने पर ज्यादा दुखी नहीं हो जाना चाहिए। उसका सामना करना चाहिए। और सुख आने पर भी ज्यादा सुखी नहीं होना चाहिए ,आनंद से उसे जीना चाहिए। यही है स्थितप्रज्ञ व्यक्ति की निशानी।  (श्रीमद्भगवद्गीता )

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Dua Kaise De - Duaye Dene Ke Fayde

Dua Kaise De - Duaye Dene Ke Fayde


दुआ  क्या है ?
आप जब भी मोबाइल के द्वारा दुषरों से बात करते होंगे , तब सोचते होंगे कि ,हम यहाँ बैठे इतने दूर -दूर के व्यक्तियों से कैसे बात कर लेते है ?

दरहसल तरंगों के द्वारा मोबाइल से बात कर पाते है। आप सोच रहे होंगे की मोबाइल का कनेक्शन दुआ  से कैसे है ?

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हरेक मनुष्य के विचार के आधार पर ,आत्मा से तरंगे निकलती है। यह बात सायद आपको समझ नहीं आ रही होगी। मैं इसको विस्तार से समझाता हूँ।

जैसे :- 1 ) आप जब भी बोहोत बड़े तपश्वी के पास जाते है तो आपको शांति की अनुभूति होती है।

2 ) स्वामी विवेकानंद ने भी यही आत्मा के तरंगो के बारे में बता रहे थे , तब किसी ने यकीन नहीं किया। तब फिर उन्होंने कहा अच्छा आपको दिखलाता हूँ।  और अंत में जब वह भाषण दे के जा रहे थे , तो सारी पब्लिक उनके पीछे -पीछे भागी जा रही थी।

तो आत्मा के तरंगों का पॉवर इतना है कि आप अपने हर संकल्पों को पूरा कर सकते है ,लेकिन इसके लिए आपके विचार शुद्ध और पवित्र होने चाहिए। यानि आपका दिल साफ़ होना चाहिए। सबके प्रति आपका एक जैसा भाव होना चाहिए।

दुआ  कैसे दे ?
जब भी आप किसी से मिल रहे हो -तो सदा आप उसके प्रति भलाई ही चाहे।
यदि आप अपने शत्रु से भी मिल रहे हो ,तो भी दिल से यह आवाज निकले की इसका भला हो।

यह अभ्यास आप हमेशा करते रहे :- ऐसा बार -बार करने से आपकी आत्मा सब के प्रति एक समान हो जाएगी। और जब आपकी आत्मा से सब के प्रति अच्छी वाइब्रेशन (तरंगे ) निकलती है ,तो आपकी दुआये दुशरो को लगना शुरू हो जाती है।

फिर आप किसी को भी आशीर्वाद देंगे ,तो वह पूरा हो जायेगा।


* वसुधेव कुटुम्बकम ,कोमल ह्रदय और आत्मिक दृस्टि से ही आप दुशरो को दुवाये देने में समर्थ बनते है। 

दुआयें  देने के फायदे। 
1 ) जब आप दुशरो को दुआयें देते है , तो आप सदैव प्रसन्न रहते है और सदा प्रसन्न रहने से आपके चेहरे में कशिश आ जाती है।

2 ) आपके दुश्मन भी दोस्त बन जाते है , यदि आप चाहते हैं की आपके दुश्मन भी दोस्त बन जाये , तो उसको भी दुआ  देना चालू कर दीजिये।

3 ) हर संकल्प पूरा होगा - आपकी कोई भी इक्षा हो वह जरूर पुरी होगी।

4 ) आपका शरीर हल्का महसूस होगा - जब आप सभी को दुआ  देना शुरू करेंगे तो आपकी सभी परेशानी दूर हो जाएगी और फिर आप अपने को हल्का महसूस करने लगेंगे।



5 ) जब आप ऐसा करने में समर्थ बन जाते है ,तब आप हर सेकेंड दुनिया को परिवर्तन करने के निमित्त बन जाते है।

6 ) आज जो दुनिया इतनी ख़राब हो गयी है - (क्योंकि लोग एक दुषरे को देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं ) तो आप दुआ  के द्वारा इसे सुधार सकते है।

वाइब्रेशन (तरंगों ) की शक्ति ,सबसे बड़ी शक्ति है , लेकिन आज लोग इसके बारे में नहीं जान रहे है।
आप इसे जरूर अपने जीवन में धारण करे और इस पोस्ट को जरूर शेयर करे , ताकि दुषरे लोग भी इसके बारे में जान पाए।



यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें निचे कमेंट करके जरूर बताये।

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Shivling  Ka Kya Arth Hai-Shivling Ke Bindi Ka Matlab

Shivling Ka Kya Arth Hai-Shivling Ke Bindi Ka Matlab


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे शिवलिंग के बारे में। और शिवलिंग में दिए बिंदी के बारे में।
मै  आज आपको शिवलिंग के बारे में ऐसी जानकारी देने जा रहा हूँ , जो अब तक गुप्त थी , और अब सभी इसको भूल चुके है।

सनातन धर्म में शिवलिंग की बड़ी भारी मान्यता है।  Greece, Mesopotamia के खुदाइयों में भी शिवलिंग की प्रतिमाएं मिली है।  और आज भी कही -कही  खुदाइयों में शिवलिंग की मूर्तियां मिल रही है।

शिव +लिंग =शिवलिंग , 
शिव = कल्याणकारी , लिंक = स्वरुप , चिन्ह 
यदि आपके घर में शिवलिंग का चित्र हो , तो एक बात आप उसमे गौर कीजियेगा - की शिवलिंग में लाल बिंदी होती है।
इसकी यादगार में सोमनाथ के मंदिर में बिंदी की जगह कोहिनूर हिरा था।

क्या आप शिवलिंग में दिए बिंदी के बारे में जानते है ?

shivling ka kya arth hai,shivling ke bindi ka matlab
शिवलिंग  का  अर्थ 


दरहसल शिवलिंग में दिया हुआ बिंदी निराकार की यादगार है।  गीता में भी भगवान बताते है -कि मेरा असली स्वरुप निराकार ही है।

यहाँ से यह तो सिद्ध हो जाता है की भगवान निराकार है।

और शास्त्रों में शिवलिंग का पूरा नाम :- शिव ज्योतिर्लिंग है , यानि शिव ज्योति यानि प्रकाश के स्वरुप है . जब शास्त्र लिखी गई थी , तो संस्कृत भाषा में लिखी गई थी , और संस्कृत में लिंग का अर्थ (स्वरुप , चिन्ह ) , इसीलिए शिव को प्रकाश स्वरुप भी कहा जाता है .



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